एक गधेरा – छः झरने
डॉ. नंदकिशोर हटवाल कभी यह गदरा (गधेरा) हमारे गांव के अर्थतंत्र की रीढ़ था। सदानीरा! वर्षभर ऐसे ही बहने वाला...
डॉ. नंदकिशोर हटवाल कभी यह गदरा (गधेरा) हमारे गांव के अर्थतंत्र की रीढ़ था। सदानीरा! वर्षभर ऐसे ही बहने वाला...
नरेन्द्र कठैत गढ़वाली भाषा के साहित्यकार, समालोचक दिवंगत भगवती प्रसाद नौटियाल जी का गांव गिरगांव पौड़ी शहर से लगभग सात...
नरेन्द्र कठैत हम जानते हैं शहर में कूड़ा- कचरा 'विकास' का है। और 'विकास' किसका है? हम सबका है। लेकिन...
नरेन्द्र कठैत वैसे पहाड़ पर पीठ टिकाए इन शहरों में है भी क्या? सब कुछ चित्र लिखित सा! जैसे मसूरी,...
नरेन्द्र कठैत एक दौर में -इसी शहर में हमनें-एक दर्जन से भी अधिक संस्थाओं के बैनर देखे। इन संस्थाओं के...
नरेन्द्र कठैत मालूम नहीं इसमें क्या राज छुपा है कि हमारे पूर्वजों ने हमारा, हमने अपने पुत्रों का, पुत्रों ने...
संजय चौहान बोलांदी नंदा!-- अयोध्या में जागर गायिका बसंती बिष्ट के जागरों और गीतों की प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुये लोग....
शैलेन्द्र सिंह नेगी दीपावली अवकाश के दौरान हिल डेवलपमेंट मिशन के निदेशक श्री रघुवीर सिंह बिष्ट जी के साथ मुझे,...
हरीश रावत एक और छोटी सी पहल-भूलता सा मायका, "मायका" शब्द, हृदय को छूने वाला शब्द! अब धीरे-धीरे धुंधला पड़ता जा...
शैलेंद्र सिंह नेगी जनपद टिहरी गढ़वाल का सीमान्त ग्राम गंगी, ग्राम गंगी तहसील घनसाली से लगभग 55 किलोमीटर दूर सड़क...
कुलदीप बम्पाल 1-3 ... बाम्पा में यह मंदिर बने शायद पांच साल से अधिक समय गुजरा नहीं होगा। पर इस...
U. Bhaskar हर यात्रा कुछ न कुछ देती है. इस बार दस दिवसीय कुमाऊं परिक्रमा की दो खास उपलब्धियां रहीं....
शैलेन्द्र नेगी हुआ यूं कि किसी कर्मचारी की तैनाती होनी थी। उस कर्मचारी के दिमाग में एक बात चल रही...
डॉ. योगेश धस्माना एक भूली-बिसरी प्रतिभा - गोविन्द राम काला, (जन्म 1892- निधन 1986), गढ़वाल का एक शिक्षित एवं जागृति...
गजेन्द्र रौतेला जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो अक्सर हमारे स्कूल में एक अधेड़ व्यक्ति जो खादी के कपड़े...
भारत चौहान यह मकान डागुरा निवासी हमारे कुल पुरोहित जी का है। जौनसार बावर क्षेत्र को भले ही 1967 में...
चंद्रशेखर पैन्यूली चौमासा, बसग्याल, चतुर्मास में पहाड़ों में पहले अच्छी खासी रौनक होती थी। विशेषकर छानियों / गौटों में, लेकिन...
कुलदीप सिंह बम्पाल इन दोनों चित्रों में से एक बौद्ध संस्कृति की अस्थि मंजुषा है जिसे थुबुत कहा जाता है...
गोविन्द प्रसाद बहुगुणा "जै बिड़ा मैं रज्जा लौं शेवा..." (जिस मुंह से मैने राजा को नमस्कार कर लिया ..) अपने...
गोविन्द प्रसाद बहुगुणा रतूड़ीसेरा में भाई स्व० कमलनयन जी बहुगुणा का मकान हमारे घर के ठीक नीचे था अस्तु -आते -जाते...