नानतिनो कि सजोलि
डॉ० सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी कवितायेँ कवि के मन की उदगार होती हैं, जिनके द्वारा उसका व्यक्तित्व पूर्ण रूप से परिलक्षित...
डॉ० सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी कवितायेँ कवि के मन की उदगार होती हैं, जिनके द्वारा उसका व्यक्तित्व पूर्ण रूप से परिलक्षित...
नवीन डिमरी ‘बादल’ डॉ० उमेश चमोला उत्तराखण्ड के साहित्यकारों में कोई अपरिचित नाम नहीं है| (more…)
रमाकांत बेंजवाल 'झिक्कल काम्ची उडायली' प्रो० उमा भट्ट और प्रो० चन्द्रकला रावत के संपादन में उत्तराखंड की भाषाओं का व्यावहारिक...
अरुण कुकसाल मिट्टी, पानी और बयार, ये हैं जीवन के आधार (more…)
हेमा उनियाल देश प्रेम और हृदयगम्य भावनाओं का प्रस्फुटन है ‘उमाळ’ खंडकाव्य. (more…)
अरुण कुकसाल हरिया तेरो गात, पिंगंली तूरी ठून, लला तेरी आंखीं,नजर तेरी बांकी (more…)
अरुण कुकसाल कुछ अच्छी बातें सिर्फ गरीबी में ही विकसित होती हैं. (more…)
अरुण कुकसाल अब कहां वो ‘तिक्खी मिर्च अर तगड़ बल्द’ विख्यात साहित्यकार स्वर्गीय विद्यासागर नौटियाल ने हिमालय और उसके निवासियों पर...
शूरवीर रावत श्री चन्दन सिंह नेगी के कविता संग्रह ‘पेड़ पर ठहरी सांसें’ के विमोचन के अवसर पर (more…)
समीक्षक – डॉ नागेन्द्र जगूड़ी नीलाम्बरम गढ़वाली में डॉ उमेश चमोला का उदंकार मैं यह कहने की गुस्ताखी नहीं करूँगा कि...
समीक्षक – डॉ० नागेन्द्र ध्यानी यह बालसाहित्य की एक अप्रितम कृति है | बालसाहित्य के प्रति भारतीय प्राचीनकाल से ही...
मुकेश नौटियाल जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’ के आलेखों की श्रृंखला की प्रस्तुत पुस्तक का शीर्षक ‘गैरसैंण’ भले उत्तराखण्ड की प्रस्तावित राजधानी...
समीक्षक- डाॅ0 अचलानन्द जखमोला अप्रितम अभिव्यंजनाशक्ति, प्रभावोत्पादकता, संप्रेषणीयता, गेढ़ अर्थवता तथा अनेकार्थता को व्यक्त करने की अद्भुद क्षमता वाली गढ़वाली...
डाॅ. प्रीतम अपछ्यांण गढ़वाली भाषा के स्थापित साहित्यकार व इतिहासकार संदीप रावत की पुस्तक ‘लोक का बाना’ का अध्ययन करने...
ब्योमेश जुगराण वरिष्ठ पत्रकार हरीश लखेड़ा की किताब 'उत्तराखंड आंदोलन : स्मृतियों का हिमालय' को इतिहास समझने की 'भूल' कर...
जयप्रकाश पंवार 'जेपी' अगर आधुनिक हिमाचल प्रदेश के निर्माता डा0 यशवन्त सिंह परमार और हिमालयन हिल रीजनल काउंसिल तथा टिहरी...
जयप्रकाश पंवार 'जेपी' उभरते गढ़वाली युवा कवि दीपक सिहं केन्तुरा कि गढ़वाली कविताओं की भले ही यह पहली कविता पुष्तक...
जयप्रकाश पंवार 'जेपी ' यह बात 1989 के आस-पास की है जब मेरी मनु से पहली मुलाकात हुई। मैं श्रीनगर...
जयप्रकाश पंवार 'जेपी' मर्द का बच्चैन गढ़वाळी कविता पुस्तक का अगर हिन्दी में नामकरण किया जय तो वह कुछ इस...
जयप्रकाश पंवार 'जेपी' प्रयोग केवल विज्ञान में ही नहीं हो रहे हैं बल्कि इन दिनों साहित्य में भी अनोखे प्रयोग...