November 24, 2024



बन आन्दोलन की नयी सुगबुगाहट

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ब्यूरो 


उॅचाई पर पेड रहेंगे, नदी ग्लेश्यर टिके रहेंगे । चाहे जो मजबूरी होगी, सडक सुक्की बैड से झाला ही रहेगी।


के नारो के साथ 18 जुलाई, 2018 को भागीरथी के उदगम में बसे सुक्की, जसपुर, पुराली, झाला के लोगों ने रैली निकालकर प्रसिद्व गाॅधीवादी और इन्दिरा गाॅधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित राधा बहन, जसपुर की प्रधान मीना रौतेला, समाजसेविका हिमला डंगवाल के नेतृत्व में पेडो पर रक्षासूत्र बाॅधे गये। इसकी अध्यक्षता सुक्की गाॅव की मीना राणा ने की। राधा बहन ने कहा कि हिमालय क्षेत्र की जलवायु और मौसम में हो रहे परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिये सघन वनों की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि सीमान्त क्षेत्रों में रह रहे लोगो की खुशहाली, आजीविका संवर्धन और पलायन रोकने के लिये पर्यावरण और विकास के बीच में सामंजस्य जरूरी है। सीमा की सुरक्षा में लगे सैनिको को यहां पर बसे हुये लोग नैतिक समर्थन देते है। अत; इनके दैनिक जीवन को खुशहाल रखना जरूरी है। इस दौरान सुक्की और जसपुर दो स्थानों पर हुई बैठक में जिला पंचायत के सदस्य जितेन्द्र सिंह राणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मेन्द्र सिंह राणा, झाला गाॅव के पूर्व प्रधान विजय सिंह रौतैला, पूर्व प्रधान किशन सिह, पूर्व प्रधान शुलोचना देवी, मोहन सिंह राणा, पूर्व प्रधान गोविन्द सिंह राणा आदि ने सुक्की बैड से जसपुर, झाला राष्ट्रीय राजमार्ग को यथावत रखने की माॅग की है।


इन्होने सुक्की बैड से झाला तक प्रस्तावित आॅलवेदर रोड के निर्माण का विरोध करते हुये कहा कि यहाॅ से हजारों देवदार जैसी दुर्लभ प्रजातियों को खतरा है। इसके साथ ही यह क्षेत्र कस्तूरी मृग जैसे वन्य जीवो की अनेको प्रजातियों का एक सुरक्षित स्थान है। यहाॅ बहुत गहरे में बह रही भीगीरथी नदी के आर- पार खडी चटटानें और बडे भूस्खलन का क्षेत्र बनता जा रहा है। इसलिये यह प्रस्तावित मार्ग जैव विविधता और पर्यावरण को भारी क्षति पहुॅचायेगा। यहाॅ लोगो का कहना है कि उन्होने आजादी के बाद सीमान्त क्षेत्र तक सडक पहुॅचाने के लिये अपनी पुस्तैनी जमीन, चारागाह और जंगल निशुल्क सरकार को दिये है। इस संबन्ध में लोगो ने केन्द्र सरकार से लेकर जिलाधिकारी उत्तरकाशी तक पत्र भेजा है।

लोग यहाॅ बहुत चिन्तित है कि उन्होने वर्षो से अपनी पसीने की कमाई तथा बैको से कर्ज लेकर होटल, ढाबे, सेब के बगीचे तैयार किये है। यहाॅ पर वे आलू, रामदाना राजमा सब्जियाॅ उगाकर कमाई करते है। इसके कारण लोग यहाॅ से पलायन नही करते है। आॅलवेदर रोड के नाम पर राष्ट्रीय राजमार्ग को चैडा करने से सुक्की, जसपुर, पुराली, झाला के लोग विकास की मुख्य धारा से अलग-थलग पड जायेंगे। और उनके कृषि उत्पादो की ब्रिकी पर प्रभाव पडेगा। होटल पर्यटको और तीर्थ यात्रियों के बिना सुनसान हो जायेगे। नैनीताल से सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम हुस्सैन ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से सेब आदि पेडो के विकास व संरक्षण के लिये देवदार जैसे पेड सामने होने चाहिये। उन्होने कहा कि पेड पौघो को जीवित प्राणियों की तरह जीने का अधिकार है। यह बात केवल हम नही बल्कि पिछले दिनो नैनीताल के उच्च न्यायालय ने कही है। इसलिये देवदार के पेडो की रक्षा के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा का दायित्व भी राज्य सरकार का है। रक्षासूत्र आन्दोलन के पे्ररक सुरेश भाई ने कहा कि स्थानीय लोग अपनी आजीविका की चिन्ता के साथ यहाॅ सुक्की बैड से जाॅगला तक हजारो देवदार के पेडो के कटान का विरोध करने लगे है। यहाॅ आॅलवेदर रोड के नाम पर 6-7 हजार से अधिक पेडो को काटने के लिये चिन्हित किया गया है। यदि इनको काटा गया तो एक पेड दस छोटे- बडे पेडो को नुकसान पहॅुचायेगा इसका सीधा अर्थ है लगभग एक लाख वनपस्तियाॅ प्रभावित होगी। इसके अलावा वन्य जीवों का नुकसान है। इसका जायजा वन्य जीव संस्थान को भी लेना चाहिये। जिसकी रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है।


इन हरे देवदार के पेडो को बचाने के लिये लोग जसपुर से पुराली बगोरी, हर्षिल, मुखवा से जाॅगला तक नयी आॅलवेदर रोड बनाने की माॅग कर रहे है। यहां बहुत ही न्यूनतम पेड और ढालदार चटटान है इसके साथ ही इस नये स्थान पर कोई बर्फीले तूफान का भय नही है। स्थानीय लोगो का कहना है कि जसपुर से झाला, धराली, जाॅगला तक बने गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अधिकतम 7 मीटर तक चौड़ा करने से ही हजारो देवदार के पेड बचाये जा सकते है। इसके नजदीक गौमुख ग्लेश्यर है। इस संबंध में हर्षिल की ग्राम प्रधान बसंती नेगी ने भी प्रधानमंत्री जी को पत्र भेजा है। यहाँ लोगो ने भविष्य में प्रसिद्व पर्यावरण विद चंडीप्रसाद भटट, नैश्नल ग्रीन टीब्यूनल, वन्य जीव संस्थान, काॅमन काॅज के प्रतिनिधियों को बुलाने की पेशकश की है। इसके साथ ही स्थानीय लोगो और पर्यावरणविदों की माॅग के अनुसार एक जन सुनवाई आयोजित करने की पहल भी कि जा रही है। इस अवसर पर गाॅव के लोग भारी सख्या में उपस्थित रहे, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता बी वी मार्थण्ड, महेन्द्र सिह, नत्थी सिह, विजय सिह, सुन्दरा देवी, बिमला देवी, हेमा देवी, कमला देवी, रीता बहन, युद्ववीर सिंह आदि दर्जनो लोगो ने अपने विचार व्यक्त किये है।