दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ
देश निर्मोही
दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ (यात्रा डायरी) / देवेंद्र मेवाड़ी
लेखक की इन यात्राओं में उसके साथ उसके देखे सारे चराचर जगत यानी प्रकृति के बिंब चलते हैं, किसी चलचित्र की तरह- पेड़, पहाड़, नदी, घाटी, तितलियां, चिड़िया, जीव-जंतु, बादल, हवा, आसमान, तारे और भी बहुत कुछ। इसलिए वह कहीं भी अकेला नजर नहीं आता। कहीं उसके साथ पेड़ होते हैं, कहीं नदी तो कहीं पहाड़ और बादल। कहीं आदमी। यानी, उसकी देखी, सुनी हर चीज उसकी यात्रा का हिस्सा बन जाती है। सच पूछिए तो इन वृत्तांतों को पढ़ना, लेखक की यात्रा के चलचित्रों को देखना है। ये यात्राएं उत्तराखंड के पहाड़ों की यात्राएं हैं जिन्हें लेखक ने मौसम के विभिन्न रंगों में देखा है। उसने पावस में पहाड़ों की हरियाली देखी है तो गर्मियों में दावाग्नि से दग्ध वनों का दर्द सीने में दबाए मौन पहाड़ भी देखे हैं। प्रकृति की छटा देखी है तो संस्कृति के रंग भी देखे हैं। सीधे-सरल लोगों के सपने देखता हुआ वह जिम कार्बेट के पदचिह्नों की तलाश में भी भटका है।