November 23, 2024



लिलियम की खेती

Spread the love

महेंद्र कुंवर 


लिलियम की खेती एक अतिरिक्त आय का साधन


वैसे तो लंबे समय से फूलो की खेती पर सरकार ओर गैर सरकारी संगठनो द्वारा लंबे समय से चर्चा की जा रही है परन्तु धरातल पर कहानी मुश्किलों से भरी है जैसे कि सही बीज की जानकारी, खेती की तकनीक ओर बाज़ार भाव। फूलो की खेती को एक अतिरिक्त आय के साधन के रूप मे विकसित करने के प्रयास मे Himalayan Action Research Centre – HARC हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) द्वारा वर्ष 2016 मे लिलियम की खेती को 15 किसानो के साथ प्रारम्भ किया। बीज लगाने से लेकर बाज़ार तक लगभग 17 प्रकार की तकनीक को सीखने मे जहा किसानो को दो वर्ष लगे ओर वही आज किसान एक नाली के एक चौथाई हिस्से (40 sq.m) मे मात्र 800 बीज / बल्ब लगाकर 45 से 50 दिनो मे 10000 से 12000 रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर रहा है। किसानो के क्षमता विकास के लिए हार्क द्वारा किसानो को हिमाचल स्थित विभिन्न कृषि विज्ञान केंद् व विश्वविद्यालयो का भ्रमण करवाया गया।


बाज़ार से जुड़ी जानकारी हेतु दिल्ली व अन्य फूल मंडियो मे भ्रमण हेतु ले जाया गया। जहा इन किसानो के फूल उगाने की तकनीक व बाज़ार के प्रति समझ बड़ी है, वही ये किसान भविष्य के लिलियम के बीज/बल्ब भी स्वयं तैयार कर रहे है। लिलियम बीज के भडारण हेतु 15 टन क्षमता का कोल्ड स्टोर भी स्थापित किया गया है, जिसका प्रयोग लिलियम के साथ साथ आलू ओर अन्य पोधो के लिए भी किया जा रहा है।इस प्रयास मे सरकार से एक पहल की आशा है। आज भी फूलो के इस बाज़ार को मंडी ऐक्ट मे शामिल नही किया गया है। यदि ऐसा होता है तो इन्ही कृषि मंडियो मे किसान अपने फूल को बेच पाएंगे ओर बाज़ार मिलने से अधिक से अधिक किसान फूलो की खेती से जुड़कर सरकार के आय दुगने करने के प्रयास को साकार करेंगे The Hans Foundation