पौड़ी के फ्रंटियर होटल के रूप में सजी सांझी विरासत
डॉ. योगेश धस्माना
पौड़ी में जनसंघ के संस्थापकों में एक सचदेवा परिवार के सदस्य विनोद कुमार, उर्फ झाकी भाई 1950 से अपने पिता दिलीप चंद के साथ फ्रेंटियर होटल के नाम से जाने जाते हैं। 1947 में इनके दादा सिंध, पंजाब से कोटद्वार आए थे। पहली बार जेल गार्डन में जिला बोर्ड द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में पौड़ी में टेंट और खान पान का ठेका मिलने के बाद इन्होंने बस स्टैंड पर, पूर्व में बंगारी कौफी हाउस को खरीद कर फ्रंटियर होटल नाम से रेस्टोरेंट की शुरुवात की। सिंध, पाकिस्तान से पौड़ी आया यह परिवार आज दिन तक पौड़ी में 75 वर्षो से मिठाई विक्रेता के साथ ही सांझी विरासत का भी हिस्सा बना हुआ है।
तब यह होटल रहने और खाने पीने का भी बस स्टैंड पर एक मात्र स्थान होता था। पौड़ी के इस होटल में 1950 में पहला रेडियो भी आया था, जो जनता और ग्राहकों का भी मनोरंजन करता था। दिलीप चंद पंजाबी तड़के के साथ वेज, नान – वेज खाना लोगो को परोसते थे। इनके हाथ के खाने की तारीफ मेरे पिता दया सागर और रंगकर्मी वरिंद्र कश्यप जी भी करते थे। दिलीप चंद सुबह सुबह उठ कर अपने नौकरों को अपने हाथ से चाय पिला कर उन्हे जगा कर उन्हे काम पर लगाते। 1952 में जब जनसंघ दल की स्थापना हुई तब पौड़ी में बृजमोहन गोयल, बलदेव बंगारी, श्यामा बंगारी और हमारा परिवार गतिविधियों का केंद्र होता था। इस परिवार में विनोद भाई बहुत सामाजिक राजनीतिक व्यक्ति थे। राजमाता सिंधिया हो या विजय मल्होत्रा, नानाजी देशमुख या फिर अटल बिहारी बाजपई की यात्रा, तीन परिवार ही जिम्मा संभालते।
1974 में तो यू.पी. विधान सभा चुनावों में तो हमारा घर और सचदेवा जी का घर पार्टी गतिवधिवो का केंद्र होत था। सुमन लता भदोला, गुलाब सिंह, ऋषि बल्लभ सुंदरियाल, दिलीप सिंह कोटद्वार वाले इन्ही घरों से चुनाव प्रचार की कमान संभालते थे। अब यह इतिहास बन कर रह गया है। पौड़ी फ्रंटियर होटल की मिठाई की खुशबू आज भी दूर – दूर तक अपनी सुगंध बिहेरती रही है, पर राज्य बनने के बाद सामाजिक सांस्कृतिक एकता की खुशबू ओझल होती दिखाई देती है। विनोद उर्फ झाकी भाई इससे बहुत आहत है। उनका कहना रहा है कि राज्य बनने के बाद उन्हें बाहरी बता कर उनके दल के लोग ही, उनको नजर अंदाज कर रहे हैं। विनोद भाई की चिंता जायज लगती है आज संघ और जनसंघ के बुनियादी संस्थापकों के परिवार दल द्वारा उपेक्षित है।
विनोद के बड़े भाई गोपीचंद आपातकाल में 19 माह जेल गए थे, किंतु गमनामी में जी रहे विनोद भाई आज भी पौड़ी में रह कर पलायन कर रही पीढ़ी को आयना दिखाने का काम कर रहे हैI जीवन के 75 वर्ष पूरे कर चुके विनोद भाई आज भी पौड़ी के किसी चलते फिरते संग्रहालय से कम नहीं है। उनके अनुज, सुरेश अब श्रीनगर में पौड़ी बस अड्डे के समीप फ्रेंटियर होटल के नाम की खुशबू से पौड़ी की स्मृति का अहसास करा रहे हैं। पौड़ी वासी झाकी भाई के दीर्घ जीवन और निरोगी जीवन की कामना करते है।
चित्र का श्रेय: फेसबुक, पौड़ी की यादें, जस्टडायल और अविरल डोभाल