पहाड़, नदियाँ और बादल
लोकेश नवानी
पहाड़ / सह सकते हैं जब तक / कुछ नहीं कहते,
मगर वे गैरजरूरी सिर पर च ढे जाने या.
संयोजन – बी. मोहन नेगी
लोकेश नवानी
पहाड़ / सह सकते हैं जब तक / कुछ नहीं कहते,
मगर वे गैरजरूरी सिर पर च ढे जाने या.
संयोजन – बी. मोहन नेगी