उत्तराखंड के पहले अंग्रेजी पत्रकार टी.डी. चंदोला
डॉ. योगेश धस्माना
गढ़वाली पत्र के संपादक बी.डी. चंदोला के छोटे भाई त्रयंबक दत्त चंदोला का जन्म 1895 में देहरादून के फालतू लाइन, पटेल रोड स्थित मकान में हुआ था। ये मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के थापली गांव के रहने वाले थे। जब ये तीन वर्ष के थे तब इनके माता पिता गुजर गए थे। तब इनके बड़े भाई विश्वभर दत्त चंदोला ने अपने दस बच्चों के परिवार के साथ इनकी जिम्मेदारी भी संभाली। इस तरह टी.डी. चंदोला ने देहरादून के डीएवी इंटरकॉलेज से इंटर परीक्षा, बनारस से बी.ए. और इलाहाबाद से एम.ए. अंग्रेजी में परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद देहरादून में कुछ वर्षो तक गढ़वाली पत्रों के प्रकाशन में सहयोग दिया। अंग्रेजी भाषा में बेमिसाल पकड़ और अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकारी रखने के कारण दैनिक पायनियर पत्र में ब्यूरो प्रमुख का काम संभाला। इनकी लेखनी से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने इन्हे इलाहाबाद से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार लीडर में काम करने का अवसर दिया। इस तरह उनकी पहचान देशभर में हुई।
इस दौरान जब भी वे छुट्टीयो में जब भी घर आते तब अपने बड़े भाई बी.डी. चंदोला के गढ़वाली प्रेस से प्रकाशनों में सहयोग दिया। 1930 में तिलाड़ी कांड के बाद जब बी.डी. चंदोला जेल गए तब उन्होंने मुकदमे में पैरवी कर दीवान चक्रधर जुयाल को कड़ी चुनौती भी दी थी। बड़े भाई के आग्रह पर उन्होंने देहरादून छोड़कर कानपुर में टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्य करना शुरू किया। इस दौरान टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादक और महात्मा गांधी के पुत्र देवदास गांधी से इनके निकट के संबंध बने। और तब उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स का प्रमुख संवाददाता नियुक्त किया। टी.डी. चंदोला ने 25 वर्षों तक एक प्रमुख पत्रकार के रूप में कार्य करते हुए, बुंदेलखंड से पश्चिम बंगाल तक अपनी अंग्रेजी पत्रिकारिता का लोहा मनवाया। इस बीच प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से उनके निकट के संबंध रहे । तब लाल बहादुर शास्त्री जी ने उनसे कई कई अंतरराष्ट्रीय विषयों पर विचार विमर्श किया। टी.डी. चंदोला कई वर्ष तक कानपुर में प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे। देश के अनेक चोटी के पत्रकारों में उनकी गणना होती थी।
इस तरह 80 वर्ष की अवस्था में 1974 को उनका कानपुर में निधन हो गया। इनका विवाह डांडालखोंड के ममगाईं परिवार की लड़की ओमवती से हुआ था उनके 2 पुत्र और चार पुत्रियां थीं। सबसे छोटी पुत्री मालती का विवाह देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर ए.न. पुरोहित से हुआ था, जो आज भी डोभाल वाला में निवास कर रहे हैं। उत्तराखंड के इस महान पत्रकार को कोई नही जानता। किंतु उनका योगदान अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, देवदास गांधी और चिंता भारती के द्वारा याद किया जाता रहा है। इस शानदार व्यकित्व को हमारा प्रणाम। उनका फोटो और दामाद ए. एन. पुरोहित का फोटो पाठकों के लिए साझा कर रहा हू।
लेखक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं.