हिमांचल यात्रा – अंतिम कड़ी
दिव्या झिंकवान
शिमला हम आते हुए घूम आए थे, फिर भी मैंने चंडीगढ़ जाने के बजाय खूबसूरत पहाड़ी शहर शिमला जाना चुना। अवि भी शिमला ही रुकना चाह रही थी और वो कम से कम आज के लिए 20 किलोमीटर कम था, चंडीगढ़ की तुलना में। शिमला में हमेशा की तरह जाम था, मैंने यू टर्न लिया और शहर के आउटस्कर्ट में रहना चुना, जहां से पूरा शिमला दिखे और फिर हमने आधी थकान शिमला में ही उतारी, जाम के डर से हम दोबारा अंदर नहीं गए।
अगली सुबह देहरादून के लिए रवाना हुए। नाहन पहुंच कर देखा कि रेणुका झील बस 28 किमी है तो मुझे लगा वहीं से धौला कुआं होते हुए पांवटा निकल जायेंगे, सो निकल गए। रेणुका में पर्यटकों की भीड़ काफी थी। वही पैडल बोटिंग, नाको झील से काफी बड़ी थी, लेकिन आधे ही हिस्से में बोटिंग करनी थी। थक भी गए और गर्मी में जू घूमना भी था तो बच्चे पस्त हो गए। अब वहां ज्यादा जानवर वैसे भी नहीं रहे, ढेरों चमगादड़, हिरण और तेंदुए आकर्षण थे बस। सच कहूं तो कोफ्त भी होती है जंगल के आजाद बाशिंदों को कैद देखकर। बहरहाल वहां से निकल कर लगभग 2 या घंटों में दून पहुंच गए। इस तरह से ये सफर पूरा हुआ।
इस बार लाहुल स्पीति जाना कई मायनों में बेहद यादगार रहा। मैंने बहुत कुछ सीखा, समझा। एक अच्छी किताब के पढ़ने जैसा, जो हमारी चेतना को विकसित करती है। जीवन देखने का नजरिया इनसे सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। मैंने इस पूरी यात्रा में खुद ही ड्राइव किया सो निश्चित रूप से मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा। बच्चों को भी संभाला और कहा जाय तो बच्चों ने भी मुझे संभाला। ठीक जैसे “लाइफ ऑफ पाई” के शेर रिचर्ड पार्कर ने पाई को हौसला दिया। हमने कठिन रास्ते चले और उनको भी मुझपर भरोसा था।
इसके अलावा अवि और मैंने काफी बातचीत की। राजनीति, फिल्मों, करियर, पढ़ाई, खेलों पर खासकर। नए खाने, पहनावे, कल्चर से रूबरू हुए। नए से रास्ते, अलग भौगोलिक वातावरण, बहुत कुछ सीखने को था। तमाम सफर के दौरान हमें अच्छे ही लोग मिले, एक भी जगह मैं ये नहीं कह सकती कि कोई बुरा अनुभव रहा हो। भोजन हो या रहने की व्यवस्था, अनावश्यक लूट के शिकार हम हुए हों, ये भी नहीं लगा। नवेंदु भाईसाहब की तर्ज पर मैं भी कोशिश करूंगी की हर गर्मियों बच्चों को कहीं घुमाया जा सके और मेरी दोस्त जागृति जिसने मुझे जाने के लिए प्रेरित किया या बाकायदा धक्का लगाया, उसका भी शुक्रिया।
इस यात्रा को लिखने का उद्देश्य ये भी है कि कभी किसी को जाना हो तो एक मोटा आइडिया इन पोस्ट से हो जाए कि कब कहां जाना है, कितना जा सकते हैं, रुकने की जगहों का एक अंदाजा हो जाएगा क्योंकि मुझे भी ठीक ठाक होमवर्क करना पड़ा और क्लूज कम थे। इस यात्रा विवरण को पढ़ने, सराहने और हौसला देने को आप सभी का भी बहुत शुक्रिया। खुश रहें !!!