उत्तराखंड से संवेदनहीनता चिंताजनक
वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली
28 अप्रैल 2023 को एक प्रमुख हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में श्रीनगर गढ़वाल से एक खबर छपी थी कि केदारनाथ धाम में परम पूज्य शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी की हुई उपेक्षा से उनके भक्त दुखी व रोष में हैं। उन्होने इस घटना को सनातन परंपरा के लिये शुभ नहीं माना है। परन्तु इसके साथ एक प्रमुख भक्त का छपा यह वक्तव्य महत्वपूर्ण है कि धार्मिक स्थलों पर लगातार राजनेताओं का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। जो काम धर्माधिकारियों से होना है वह कार्य राजनेता कर रहें हैं। मठ मंदिरों में लगातार वी आई पी कल्चर पनप रहा है। इस बयान की सत्यता पिछले कुछ सालों से उत्तराखंडवासियों से ज्यादा कौन जानता है। राजनैतिक सत्ताकाल अक्षुण रहे जैसे मंतव्य इनके या पहली दूसरी या किसी भी नम्बर की पूजा के पीछे न रहते हों यह भी नहीं कहा जा सकता है। निस्संदेह हस्तियां ऐसा चाहती होंगी ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है। परन्तु दरबारी अतिरेक में कुछ भी असंभव नहीं है।
ऐसा ही कुछ चार धाम यात्रा प्रारंभ के पहले ही दिन ऋषिकेश चार धाम यात्रा के शुभारंभ के उषा काल में आईएसबीटी ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप में परिसर में रहे हजारों आम तीर्थयात्रियों को भी हुआ। यह सब तब हुआ जब सरल सुगम सुरक्षित सरकारी यात्रा की पूरी तैयारियों की दुदुंभी बज रही थी। पुष्पक यानों से पुष्प वर्षा भी हो रही थी। तभी सोशल मीडिया व लाइव समाचार पत्र संस्करणों में पहले दिन ही आई एस बीटी ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप की दुर्दशाये उजागर होने लगीं थीं। आम जन घंटें तक वहां पीने के पानी के लिये तरसता रहा। समाचार यह भी था कि काफी समय तक वहीं परिसर प्रवेश व शौचालय आदि इसलिये बंद कर दिये गये थे क्योंकि मुख्यमंत्री जी को वहां आना था इसलिये वहां गंदगी न हो इसका ध्यान रखा जाना था।
आधिकारिक स्पष्टीकरण यह भी था कि मुख्यमंत्री जब आकर चले गये तो फिर सब बंदियां हटा दी गईं थीं। सवाल यह है कि आगंतुक श्रध्दालु हमारे लिये यदि देवतुल्य हैं तो देवभूमि प्रवेश व्दारा में ऐसी संवेदनहीनता का क्या औचित्य था। क्यों दिखी ?
लौटें संवेदनहीनता के क्रम में उन दिनों की ओर जब आदि शकराचार्य जी की तपःस्थली ज्योतिर्मठ व प्रसिध्द पौराणीक नृसिंह मंदिर भी जनवरी 2023 में जोशीमठ भूधंसाव की जर्द में आ गये थे। तो जोशीमठ के संदर्भ में 8 जनवरी को शकराचार्यमठ से जगतगुरू स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ज्योर्तिशपीठ पीठाधिश्वर ने सुप्रीम कोर्ट में तुरंत पुनर्वास का मुददा उठाया था। एन टी पी सी को इन्सुयेरेन्स कवर देने की हिदायत और नगरवासियों को पुनर्वास देने के उपाय चाहा था। उन्होने जोशीमठ में धार्मिक व आध्यात्मिक स्थानों की सुरक्षा देने और तपोवन परियोजना को बंद करने की मांग की थी।
एक ऐसी मौनिटेरिंग कमेटी बनाने का अनुरोध किया था जो केन्द्र व राज्य सरकारों के जोशीमठ के लोगों को सुरक्षा व पुनर्वास देने के प्रयासें को देखे। किन्तु उनकी अपील नहीं स्वीकार की गई थी। किन्तु सरकार को तो उनके साथ होना चाहिये था। जोशीमठ आदिगुरू शकराचार्य जी की तपःस्थली है। नवम्बर 2021 को प्रधान मंत्री नरेद्र मोदी आदिगुरू शकराचार्य की 12 फुट ऊंची 35टन आदि शकराचार्य जी की प्रतिमा का केदारधाम में अनावरण कर चुके थे। आदिगुरू शंकराचार्य जी का बदरीधाम की पुर्नस्थापना में भी अतुलनीय अविस्म्रणीय योगदान रहा था। ऐसे में आशा थी कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में ज्योर्तिमठ के संदर्भ में तो अकेला न छोड़ती।
जोशीमठ के संदर्भ में एक संवेदनहिनता यह भी तो रही कि जोशीमठ में जमीन का धंसना लगातार बढ़ने को जब इसरो ने अपनी रिपोर्ट के इन आंकड़ों से पुष्ट किया था कि 22 दिसम्बर 2022 और 8 जनवरी 2023 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव 5 . 4 से. मी. हुआ था। जबकि इसके पहले के सात महिनों में भूधंसाव 9 से. मी. तक ही हुआ था। तो अनायास एन आर एस सी की वेबसाइट से 14 जनवरी 2023 को यह रिपोर्ट हटा दी गई थी। कहा जाता है कि उत्तराखंड सरकार के एक मंत्री के कहने पर आया था। आज भी जोशीमठ पर हुये वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट देने में हिचकिचाहट जारी है। जोशीमठ बचाओ युवा संघर्ष समिति जिसने सेफ जोशीमठ सेफ उत्तराखंड के लिये जोशीमठ से देहरादून के लिये पैदल मार्च निकाला था उसका तो बेलाग वक्तव्य था कि पूरा जोशीमठ एन टी पी सी की वजह से अनसेफ जोन में आ गया है व सरकार परियोजना को बचाने में लगी हुई है।
व्यक्तिगत रूप में मैं संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नई राज्य आबकारी नीति के संदर्भों में आये बयानों को देता हूं। कम से कम महिला आन्दोलनकारी व दशकों से शराब विरोधी आन्दोलन में जुटी महिला पीढ़ियां इस सरकारी बयान से बेहद आहत हुई होंगी की शराब बिक्री से जो राजस्व मिलेगा उसका एक अंश महिला विकास पर भी खर्च होगा। यही नहीं एक राजनैतिक प्रवक्ता तो यहां तक कह गये कि शराब नीति से माफिया नहीं आम लोगों को फायदा होगा। कुछ ऐसा ही अरविद केजरीवाल सरकार के तत्कालिन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विधान सभा में जनवरी 2022 में कहा था कि नई शराब नीति से बी जे पी का कमीशन रूका , 3500 करोड़ रूपये की चोरी रूकी। इस शराब नीति से माफिया नहीं आम लोगों को लाभ होगा। तो इस संदर्भ में भी व मनीष सिसोदिया की मुश्किलों के बीच गांधीवादी अन्ना हजारे ने 2023 अप्रैल माह में ही कहा था कि एक भी उदाहरण कहीं नहीं है जिससे कहा जाये कि शराब के प्रसार से किसी का भला हुआ है।
शराब प्रसार में तो राज्य सरकार इतनी तुली है कि वह टैट्रा पैक में शराब की बिक्री की अनुमति पाने में व पर्यावरण पर इससे नुकसान न होने देने के अश्वासन के लिये हाईकोर्ट को बता चुकी है कि टैट्रा पैक में क्यूआर कोड लगा होगा। इसे लौटाने पर खरीददार को अतिरिक्त लिये गये दस रू वापस मिलेंगे। किन्तु मान लें पियक्कड़ ने टैट्रा पैक यदि न लौटाया, सोचे कि कौन झंझट में पड़े तो विक्रेता के पास जो दस रूपये रह जायेगें वह किसके जेब में जायेगा। जिसके जेब में या जिनके जेबों में जायेगा क्या वो सड़कों पर पड़े उन टैट्रा पैकों को उठायेंगे।
संवेदनहिनता नही तो क्या है कि बेरोजगारों पर पेपर लीक प्रकरणों से पीड़ितों आन्दोलनकारियों पर हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाना और फिर हटा देना जैसे कुछ हुआ ही न हो। इस घटना की निंदा दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी की। उददेश्य संभवतया यह भी रहा होगा कि युवाओं के विरोध प्रगट के अधिकार पर अंकुश लगाया जाये, उनमें भय पैदा किया जाये। परन्तु सोचिये उन बेरोजगारों के लिये नौकरी पाना सरकार ने कितना मुश्किल कर दिया जिनके पुलिसिया रिकार्ड में हत्या प्रयास, आगजनी, सरकारी कार्यों में व्यवधान जैसे आरोपों का एक बार उल्लेख भी हो गया हो। क्या विभिन्न कार्यों के लिये पुलिस इनक्वारियों में वे संदिग्ध नहीं रहेंगे। हालांकि तथ्य तो यह है कि सरकारी अधिकारियों व्दारा गंभीर आरोपों की पुष्टि में प्रासंगिक देहरादून न्यायालय में कार्यवाही योग्य संतोषजनक साक्ष्य न प्रस्तुत किया जा सका था।
संवेदनहीनता का एक मिसाल 2023 का ही वह सरकारी आर्डर भी था जो रायल्टी देने के बाद ओवर लोडिंग की खनन सामग्री वाहन ओवरलोडिंग की अनुमति देता था और जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी और सरकार को उसे निरस्त करना पड़ा था। सरकार भले ही अपने को अनजान माने किन्तु आम भुक्तभोगी जन जानता है कि खनन सामग्री से ओवरलोडेड वाहनों से खासकर गांवों के आने जाने की रहों व पुलिया क्षतिग्रस्त होती हैं। सड़क पर चलने वालों का जीवन खतरे में पड़ जाता है।
खनन से संदर्भित एक अन्य जनहित याचिका में नैनतान उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को निर्देश था कि सरकार अपने विभाग से नदी में ड्रेजिंग करवाये न कि निजी एजेन्सी से। यह निर्देश बहुत कुछ पंक्तियों के बीच भी कहता है। सरकार यदि घोषणा करे तो अवैद्य रूप से रात दिन बरसातों में भी चलने वाले खनन शायद कम हो व खनन माफिया बर्चस्व भी कम हो जाये।
चलते चलते यह भी संवेदनहिनता है कि राज्य में कहीं कहीं राशन के डीलर पुराने भुगतानों के लिये अप्रैल अंत में हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं व विद्यालयों में नये सत्र में दो तीन सप्ताह बीतने पर भी बच्चों के लिये किताबें नहीं पहुंची हैं। और साथ में जो राज्य जानकारी से संदर्भित पुस्तिका जैसी सहायक रूप में पहुंची है उसमें कहते हैं कि मुख्यमंत्री, मंत्री पुराने ही उल्लेखित हैं।
अंततः 7 अप्रैल 2023 की पछवा दून त्यूणी में एल पी जी गैस सिलंडर विस्फोट में भीषण आग लगी दोमंजिला घर दो सगी बहन सहित चार बच्चियां का जिंदा जल जाना सरकार के लिये व राज्यवासियों के लिये ज्यादा मानवीय और संवेदित होने का संदेश दे गया है। कहा गया कि राज्य के पास में ही स्थित फायर ब्रिगेड के वाहन में पानी होता व वाहन पानी भर कम समय में दुर्घटना स्थल पर पहुंच जाता तो शायद नन्ही अमूल्य जानें बच जातीं।
पौड़ी के रिखणीखाल व तहसील धुमाकोट जैसे निरंतर बाघ के खौफ से ग्रसित राज्य के दर्जनों गांवों के विद्यालयों व आंगनवाड़ी केन्द्रों के नन्हे मुन्ने मुन्नियों को हर वक्त निगरानी में सुरक्षित व निगरानी में रखा जाना अत्यंत आवश्यक है। केवल कई कई दिनों की अवकाश घोषणा ही सुरक्षा नहीं दे सकते हैं। कम से कम ऐसे भ्यों में जीते गांवों में रोशनी का इंतजाम हो चाहे सोलर लाइट बिजली के खंभें पर लगें। इससे रात में छुपे हिंसक जानवरों का डर भी शायद कम हो। जहां तक रिखणीखाल धुमाकोट क्षेत्र में पौड़ी में आदमखोर बाघ की दहशत की दहशत की बात थी तो इसी अप्रैल 2023 में 25 गांवों में नाइट कर्फयू लगाना पड़ा था।
हां, राज्य व्दारा पिछली दिखाई गई एक संवेदनहिनता परोक्ष रूप से एक बड़ा देशहित कर गई। हुआ यह कि 28 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एक बहुत ही कड़ा निर्देश देश के सारे राज्यों व यूनियन टेरीटेरिज को दिया है कि वो बिना किसी के व्दारा शिकायत का इंतजार किये हुये हेट स्पीच की किसी भी घटना के संज्ञान में आने पर तुरंत एफ आई आर दर्ज करें। ऐसा न करने पर यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना मानी जायेगी। हेट स्पीच से देश की धर्मनिरपेक्ष ताना बाना पर असर पड़ता है। यह एक गंभीर अपराध है । और यह आदेश उस मूल मामला से ही जुड़ा है जो तीन राज्यों दिल्ली उत्तराखंड उप्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सामने आया था कि ये राज्य वहां हेट स्पीच देने वालों पर कोई पुलिस प्राथमिकि नहीं दर्ज कर रहें हैं। तब अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों को हेट स्पीच देने वालों पर तुरंत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये थे। 28 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने उसी संदर्भित आदेश को पूरे देश में ही बढ़ा दिया है। इससे सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप संभवतया हेट स्पीच से देश का धर्मनिरपेक्ष ताना बाना ज्यादा सुरक्षित रह सकेगा।
Photo courtesy – Dr. J. P. Mehta
लेखक सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरण वैज्ञानिक हैं.