विनसर यात्रा
सत्या रावत
आज फिर कुछ समय निकालकर एक छोटे से ट्रेक पर जाना हुआ।
बिनसर ट्रेक, विगत चार वर्षों से पौड़ी जिले में कार्यरत रहते हुए भी यहां के सबसे बेहतरीन ट्रेक को नही जा पाया था। कल मौके को देखते हुए अपने सहयोगियों के साथ यहां जाने का सुअवसर मिला। शाम के 5 बजे कार्यस्थल से छूटने के बाद सीधे यहां के बेस कैंप पीठसैण पहुंचे। यहां पर पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली जी की दो प्रतिमाएं हैं। एक पुरानी और एक अभी विगत दिनों ही लगी है। यह स्थल काफी रमणीक है और धीरे 2 यहां का विकास होता दिख रहा है। इसी के ठीक नीचे गढ़वाली जी का पैतृक गांव रेणूसेरा भी है।
लगभग 8 बजे सांय इस स्थान से पैदल ट्रैकिंग शुरू की। चूंकि रात्रि का समय था अतः आसपास के नजारे देख पाना सम्भव नहीं था। रात्रि 9 बजे एक जलस्रोत के पास घर से बनाया हुआ भोजन लेकर आगे बढ़े और 11 बजे से पूर्व बिनसर मंदिर पहुंच गए। बिनसर मंदिर पीठसैण से 11 किमी दूर है। यहां पर मेला होने के कारण काफी भीड़ थी। रात को स्थानीय ग्रामवासियों द्वारा जलाए गए अलाव के साथ बैठकर कुछ वक्त गुजारा और 2 बजे उठकर फ्रेश होने के बाद मंदिर में दर्शन कर यहां से 3 किमी दूर अवस्थित वरमा ढुङ्गी (व्रह्मा जी की चट्टान)पर सुबह के 5 बजे पहुंच गये। यहां से गढ़वाल और कुमायूं के कई क्षेत्र स्पष्ट नजर आते हैं। यहां से ठीक साढ़े 6 बजे चलना प्रारम्भ कर 10 बजे पीठसैण वापस पहुंच गए। इस प्रकार ये कुल 28 किमी का ट्रैक 14 घण्टों में ही पूरा कर लिया गया।
बिनसर का पूरा क्षेत्र दूधातोली जंगल के अंतर्गत आता है यहां से गढ़वाल व कुमायूं की तीन प्रसिद्ध नदियों नयार दायां, नयार बायां और रामगंगा का भी उद्गम होता है। इस क्षेत्र में वनस्पतियों की विविधता देखते ही बनती है। साथ मे जगह जगह पर बहने वाली छोटी 2 जलधाराएं सफर का मजा दुगुना कर देती देती हैं। कुल मिलाकर यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर्यटन की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय मे यह क्षेत्र पर्यटकों से गुलजार होगा।
टिप्पणी
रणजीत बिष्ट – रावत जी आप के माधयम से हमें भी अपने उतराखण्ड को रमणिक स्थानो को दर्शन देखने कौ मिलते है अतिसुन्दर रावत जी.
सत्या रावत – जी भाई साहब। कोशिश यही है कि जहां जाऊं वहां के बावत थोड़ा जानकारी दे सकूँ। ताकि और साथी इस बाबत जान सकें और अपना क्षेत्र पर्यटन में लगातार आगे बढ़े।
सुधीर नौटियाल – बहुत सुंदर रावत जी मेने भी ये यात्रा करी हुई है बहुत मजा आया था आज आपने याद ताजा कर दी.
भूपेंद्र रावत – बहुत सुन्दर भाई जी अगर हमारे गढवाली भाई लोग जो बहार प्रदेशो मैं रहते हैं, वो धूमने बहार की जगह नही अपने यहां आयेंगे थोड़ी परेशानी होगी पर फायदा भी होगा.