पहाड़ की जरूरत है मन्दोदरी देवी
रमेश पाण्डेय कृषक
पहाड़ पर हर गांव की जरूरत है एक मन्दोदरी देवी।
यदि आप समझ रहे हैं कि वन, पर्यावरण, जल, भू संरक्षण के लिए बने नियमों कानूनों के लिए प्रशासनिक मशीनरी ईमानदारी से डटी, खड़ी है तो आप भ्रम में हैं। हेलंग की मन्दोदरी देवी ने अपने दम पर संघर्ष कर के यही तो साबित किया है कि कम्पनियों, माफियाओं, बड़े-बड़े सरमायेदारों और इनके सिन्डीकेटों द्वारा जहां भी और जितने छोटे बड़े स्तर पर वन, पर्यावरण, जल, भू संरक्षण के लिए बने नियमों कानूनों से खिलवाड़ किया जाता है वहां सरकार और सरकार की मशीनरी या तो संलिप्त मिलती है या फिर स्व संरक्षण में कौमा की स्थिति में चली जाती है। मन्दोदरी देवी का सत्ता द्वारा किए गए दमन का वीडियो सामाजिक इदारों में फैलने के बाद यह यह आरोप पुख्ता हो गया है।
यह स्थिति सिर्फ हेलंग के एक छोटे से तोक में ही विद्यमान नहीं है पूरे पहाड़ों पर जहां तहां बृहद स्तर पर स्थापित है। हमारे यहां बागेश्वर में की तीन, चार, पांच दर्जन के लगभग खड़िया की बड़ी बड़ी खदानों से खाड़िया खोदी जा रही है। सारी की सारी खदानें गांवों के भीतर लोगों की नाप भूमि पर सकृय हैं। खदानों से निकलने बाले मलुवे के लिए जो नियम व शर्तें लीज स्वीकृति में हस्ताक्षरित होते हैं का पालन करवाने में नागरिक प्रशासन, वन विभाग, और खनन विभाग और सरकार की कैबिनेटें नाकाम रही हैं और इन नियमों कानूनों की ओर पीठ करके बैठने में ही भलाई/ मलाई देख रहा है। (इनकी चुप्पी ही मलाई के आरोप का प्रमाण है) सुधि जन वैज्ञानिक नजरिए और सांख्यिकी के चश्मे से सिर्फ इतना सा देख लें कि खनन में खड़िया दोहन के बाद जो मलुवा शेष बचा था उस मलुवे का 80 से 90 प्रतिशत भाग गायब कहां हुआ? उतर सीधा सा मिलेगा कि वह मलुवा नदियों में समा गया है और हर साल समा रहा है। सिर्फ ईमानदार नजर होनी चाहिए सबूत बिखरे पड़े हैं।
खनन ने कई स्थानों पर बन पंचायतों को भी प्रभावित किया है जो पटवारी से लेकर गवर्नर तक को दिखाई ही नहीं दे रहा है। सिर्फ बागेश्वर ही नहीं पहाड़ पर के गांवों में जहां भी खनन खुला है वहां यह समस्या मौजूद है तो है पर सरकार और सरकार की मशीनरी को दिखाई नहीं दे रही है। सरकार और सरकार की मशीनरी यदि वन, पर्यावरण, जल, भू संरक्षण के लिए बने नियमों कानूनों का यह हश्र नहीं देखना चाहती है तो वजह यही है कि हर गांव में एक मन्दोदरी देवी नहीं उठ खड़ी हुई है। पहाड़ की आज की सबसे बड़ी जरूरत हर एक गांव में एक मन्दोदरी देवी है।