September 10, 2025



आतंकवाद से लड़ाई

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रमेश पाण्डेय 


कभी देश के समाचार चैनलों से बाहर निकल कर देश दुनियां की खबर भी ली ही जानी चाहिये।


जिस रोज कोई ऐसा करेगा तो जानेगा कि विकसित देश अपने दुश्मन देश की अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बुराई कर के या उसे नीचा दिखा कर विकसित नही बनता है वरन् अपने देश के समाजों के हित के हर सम्भव काम कर के विकसित होता है और विकसित रहता हैं। इधर कुछ सालों से हमारा एक सूत्रीय कार्यक्रम चल रहा है कि अन्तराष्ट्रीय मन्चों पर हम अपने दुश्मन देश को कैसे भी नीचा दिखायें। बिनलादेन की अमेरिका के हाथों पाकिस्तान की जमीन पर हत्या हो चुकने के बाद यह साफ हो चुका है कि पाकिस्तान आतंक की पनाहगाह है, ऐसे में यदि कोई देश आतंकवादी पाकिस्तान को अन्तराष्ट्रीय मन्चों पर आतंकी देश साबित करने की बात कहता है तो वह कोई नया काम नही करता सिर्फ अमेरिका परस्ती ही करता है। ऐसे प्रस्ताव लाने के लिये स्वयं अमेरिका कई देशों को निर्देशित भी करता ही है। ऐसा करवाने के पीछे उसकी मनसा विकास शील देशों को आपस में उलझाये रख कर अपना उल्लू सीधा करते रहना ही होती हैं. कोई भी देश आतंक से तभी लड़ सकता है जब वह देश खुशहाल हो, उस देश में न्याय व्यवस्था चुस्त दुरस्थ हो और देश के भीतर सभी लोग अपने को सुरक्षित महसूस करते हों। जिस देश के राज्य या स्वयं केन्द्र राजकीय व्यवस्था को चलाने के लिये बाजार से कर्ज उठाने की स्थिति में भी आजाता हो, जिस देश में एक समाज दूसरे समाज पर हावी रहने पर आमादा हो, ऐतिहासिक धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहरों को भी जाति के चस्मे से देखने के सन्देश दिये जाते हों, जिस देश में किसान की आत्म हत्या भी वोट का जुगाड़ बना दी गई हो, जिस देश में चन्द पूंजी वादी घराने तेजी से अति सम्पन्न बनते जा रहे हों और निम्न और मध्यम दर्जा समाज कठोर टैक्स की चक्की में पिस रहा हो, जिस देश में शिक्षा चिकित्सा व्यवस्था सबके लिये समान ना हो, जिस देश में आम समाज के उपर दरोगाई ला एण्ड आर्डर व्यवस्था स्थापित कर दी गई हो, जिस देश के थानों और न्यायालयों में जाने से निम्न व मघ्यम दर्जा समाज डरता हो वह देश ना तो आतंकवाद से लड़ सकता है और ना ही दुश्मन को कमजोर कर सकता है। पाकिस्तान हमारा दुश्मन है और रहेगा पर यह भी सत्य है कि सिर्फ बुराई कर के या मीडियाई धमकी दे कर हम पाकिस्तान को अपने सामने झुकने पर मजबूर नही कर सकते हैं। पाकिस्तान ही नही हमारा कोई भी दुश्मन तभी हमारे कदमों पर झुकेगा जब हम सम्पन्न होंगे, आत्म निर्भर होंगे और एक होंगे।