November 23, 2024



चोपता के स्वर्ग की चिंता

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प्रमोद साह


चोपता जनपद चमोली ,रुद्रप्रयाग का एक ज्ञात स्वर्ग है। सड़क मार्ग पर स्थित होने के कारण यहां पहुंचना आसान है। यह पूरा क्षेत्र जो घने बांज, बुंराश के जंगल के साथ मंडल से शुरू हो जाता है। जहां कस्तूरा मृग बिहार भी स्थित है। जहां बहुत आसानी से आप कस्तूरी मृग और राज्य पक्षी मोनाल के दर्शन कर सकते हैं। यह पूरा क्षेत्र अपनी शानदार जैव – विविधता और प्रकृति के सह अस्तित्व के संदेश की पाठशाला के लिए ज्यादा जाना जाता है। लकदक बुरांश, शानदार मखमली घास का मैदान, और चंद्रशिला से हिमालय का साक्षात यह सब कुछ इसे अदभुत बनाता है। पर्यटकों के साथ ही फोटोग्राफरों की भी यह पहली पसंद है। नैनीताल के सुप्रसिद्ध फोटोग्राफर और पर्यावरणविद पद्मश्री अनूप साह पिछले 50 वर्षों से लगातार चोपता आते रहे हैं। उन्हीं के साथ -साथ नई पीढ़ी के नैनीताल के फोटोग्राफर् अमित साह, अदिति खुराना ने भी सोशल मीडिया में चोपता की शानदार तस्वीरें जारी की हैं।

इस स्वर्ग की सुंदरता का जो महत्वपूर्ण पक्ष है, वह यहां की जैव विविधता है। जिसे लेकर श्री अनूप साह बेहद चिंतित हैं, वह कहते हैं कि पहले गाय और चरवाहों के साथ अगले मोड़ पर ही बाघ भी दिख जाता था। लेकिन पिछले कुछ सालों से बाघ कम दिखा है। जंगल की खुशहाली संतुष्ट बाघ से ही आंकी जाती है। अब जब बाघ के यहां वहां आदमखोर होने की खबरें सुनाई देती है। तो बाघ के आदमखोर होने का दर्द जैव विविधता पर बढ़ते खतरे के रूप में ही दिखता है। चौड़ी पत्ती के जंगलों में सफाई के नाम पर वन विभाग द्वारा ही जो आग लगाई जा रही है वह भी जैव विविधता के लिए बड़ा संकट पैदा कर रही है। हांलाकि अब एक पीआईएल के बाद , जंगल की सफाई के लिए आग लगाना प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन हमारी प्रकृति और हम अधिक दिनों तक खुशहाल रहें, इसके लिए जरूरी है, कि चोपता जैसे जैव- विविधता के केंद्रों की हम लगातार निगरानी और चिंता करें।


साभार – प्रमोद साह जी के वाल से, फ़ोटो साभार – अनूप साह