November 23, 2024



काजुओ इशिगुरो – साहित्य का नोबेल

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महावीर सिंह जगवाण


दिखावट और बनावट की उलझनो ने मानव को वैचारिक रूप से ऐसे चौराहे पर खड़ा कर दिया है मानो वह संवेदन शीलता और भावुकता को कोषों दूर छोड़ चुका है।


संवेदनायें और भावनायें ही धरती पर वो अनमोल प्रकृति प्रदत्त अदृष्य तोहफा है जो सदैव मानवता और प्रकृति के मध्य गूढ सामजस्य बना कर निरन्तर अटूट और सृजन की उत्पत्ति के लिये प्रेरक का कार्य करता है। एक धनाड्य पूँजी को संवेदना और भावना को कोषों दूर रखकर इकट्ठा करता है, लेकिन जब धनाड्य के अंतस मे संवेदनायें और भावनायें हिलोरे मारती है तो वह खुलेमन से अपने धन का समाज हित मे दान करता है। एक पढा लिखा युवा अपनी संवेदनाऔं और भावनाऔं के प्रभाव के बलबूते नये अविष्कारों का जन्म कर जीवन की जटिलता का समाधान करते हुये आम जन तक उसके फायदे पहुँचाता है। एक दृढइच्छा शक्ति का प्रबल द्योतक पत्रकार अपनी संवेदनाऔं और भावनाऔं की परिणति के कारण लेखनी से समाज और सरकार के मध्य ईमानदार सेतु बनकर समाज के अंतिम ब्यक्ति की अप्रत्यक्ष सेवा करता है। एक कुशल शिक्षक अपनी संवेदनाऔं और भावनाऔं के प्रभाव से राष्ट्र के भावी नागरिक को शसक्त बनाता है। एक लेखक अपनी संवेदनाऔं और भावनाऔं से ही भूत वर्तमान भविष्य का समावेश कर समाज के लिये आरोह की अप्रत्यक्ष कड़ी बनता है। स्पष्ट है संवेदनाऔं और भावनाऔं की परिणति विचार ही सबसे शक्तिशाली धुरी है। संवेदनाऔं का सृजन घटित घटनाक्रम परिवेश और समाजिक तानाबाना की ही परिणति है यह युगों की चरेवेति पद्धति का भी समावेश है। इसी प्रकार भावनाऔं का भी उद्गम है जो जेनेटिक के साथ वातावरण और जीवन मूल्यों की समझ के अनुरूप निरन्तर प्रभाव और समझ की झलक है।इन विलक्षण गुणो के संयोजन से ही विचार की उत्पति है। पूरी दुनिया दिखने मे तो सैकड़ों राष्ट्र और इन राष्ट्रो का सार लाखों समुदाय और इनकी भावनायें और संवेदनायें के साथ विचार। निश्चित रूप से सबसे बड़ी पूँजी ही विचार है। विचार जितने पवित्र और सर्वग्राही के साथ सर्व उत्कर्ष के होंगे उतने दीर्घ और सन्तुलित यह दुनियाँ।


आधुनिक मानव संवेदनाऔं और भावनाऔं की असलता से अबूझ है वह अपनी सुविधानुसार इन्हे ब्याखित करता है और खण्डित करता है जिसकी परिणति उसके अंतस मे खोखला पन बढा है। इस खोखलेपन को समय पर भरना होगा ताकि आने वाली पीढियाँ युगो से संचरित संवेदनाऔं और भावनाऔं के बलबूते अपने आदर्श विचारों की उत्पत्ति का क्रम चलता रहे ताकि युगों युगों तक यह दुनियाँ अधिक खुश नुमा रहे। अपनी छोटी समझ से इस वर्ष के साहित्य के नोबेल विजेता जापानी मूल के ब्रिटिश उपन्यासकार काजुओ इशिगुरो की शैली को सरलता से समझाने की एक सरल पहल।नोबेल कमेटी ने पुरस्कार का ऐलान करते हुये कहा “आपने बेहद भावुक उपन्यासों से दुनियाँ के साथ संपर्क की हमारी मायावी समझ की गहराई से पर्दा उठाया” इन्हे (काजुओ इशिगुरो) को इस साल का नोबेल पुरस्कार दिया जायेगा। संगीतकार बनने की नाकाम कोशिष के बाद लेखन को अभिब्यक्ति का जरिया बनाने वाले काजुओ इशिगुरो को इस वर्ष का साहित्य का नोबेल देने की घोषणा की गई, इन्होने अपने लेखन मे रिश्तों की भावानात्मक स्पंदन दिया है। आपने अपने उपन्यासों मे इतिहास को वर्तमान से जोड़कर भविष्य की छाँव और असहजता को अपने लेखनी से जोड़ने की शसक्त पहल की है। हार्दिक बधाइयाँ।

फोटो सौजन्य – गूगल / विकिपीडिया