चलो हिमाचल
संदीप गुसाईं
आखिर क्यों उत्तराखंड की तरह हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी, किन्नौर, शिमला, चंबा, कांगड़ा और लाहौल स्पीति में अनेक देवी देवताओं की पूजा होता ही जिनमे विष्णु और महेश यानी बाबा भोलेनाथ प्रमुख है और ईसी तरह शक्ति के भी कई मंदिर है। हिमाचल बाबा भोलेनाथ का प्रिय स्थान रहा है। ऋषिमुनियों ने यहाँ कई जगहों पर तपस्या की। इसके अलावा स्थानीय देवी देवताओं के मंदिर है। हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म की ये संगम भूमि है। हिमाचल में सबसे प्रमुख शिव के मंदिर है। किन्नर कैलाश, मणिमहेश और हर गॉंव और इलाके में शिव के मंदिर है। कुल्लू, मंडी, किन्नौर और शिमला जिलों में सबसे ज्यादा मंदिर शिव के है। यहाँ शैव की तरह शक्ति की भी पूजा होती है।
भरमौर में लक्षणा देवी और मिरकुला ,कांगड़ा में बृजेश्वरी और ज्वालामुखी शिमला जिले में भीमाकाली और बिलासपुर में नयना देवी प्रमुख है। हिमाचल शिव और शक्ति के साथ नारायण की भी भूमि है। यहाँ भगवान नारायण को अलग अलग रूपो में पूजा जाता है। मंडी में जब हर साल महाशिवरात्रि का आयोजन होता है तो इसमें शैव, शक्ति और विष्णु को मानने वाले अपने अपने देवताओ को लाते है।यहाँ चंबा में हरिराय मंदिर, लक्ष्मी नारायण बसिधारा, भरमौर के चट्टान कुरेदित मंदिर के अलावा मंडी के कई इलाकों में बिठु नारायण रुप में पूजा होती है।
लेखक घुमंतु पत्रकार व रूरल टेल्स के संस्थापक हैं