November 22, 2024



बडियारगढ़ का प्रसिद्ध घंडियाल मंदिर

Spread the love

देव राघवेन्द्र बद्री


कहते हैं ना जहां अगाध आस्था होती है वहां भगवान प्रचंड शक्ति में विराजमान होते हैं और इसी आस्था का प्रतीक है बडियार गढ़ लोस्तों पट्टी के लोग जिन्होंने अपने आराध्य क्षेत्रपाल घंटाकर्ण देवता के मंदिर के लिए अपने स्तर पर दो करोड़ रुपए का मंदिर बना दिया भव्य शैली का यह मंदिर आज पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है यहां के लोगों ने अपनी हैसियत के हिसाब से इस भव्य मंदिर को बनाने के लिए पैसे इकट्ठे किए और अद्भुत शैली का युवा मंदिर प्राचीन कलाओं को दर्शाता हुआ राजस्थान के कटवा पत्थरों से निर्मित तथा देवदार की लकड़ी और चांदी का गर्व ग्रह से निर्मित है।

इस मंदिर के शुद्धीकरण तथा उद्घाटन अवसर पर बद्रीनाथ के श्रीमान रावल ईश्वरी प्रसाद ना मुंदरी जी के हाथों किया गया जो कि इस पट्टी के लोगों के लिए स्वर्णिम दिन बन गया है पूजा पाठ श्री रावल जी के कर कमलों द्वारा इस भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया और यह कहना गलत नहीं होगा किस स्थान की उर्जा ओज और भगवान घंटाकर्ण की असीम शक्ति और यहां के लोगों की आस्था जिसने श्रीमन रावल जी को अपने स्थान की ओर आकर्षित किया इस भव्य मंदिर और यहां के लोगों की आस्था को देखकर रावल श्री बद्रीनाथ के धर्माधिकारी देवस्थानम बोर्ड के अपर सचिव बीडी सिंह जी गदगद रह गए उन्होंने यहां के लोगों को बहुत बधाई दी और साधुवाद दिया।


लोस्तु बडियागढ़ के लोगों की यह आस्था पूरे उत्तराखंड के लिए नायाब उदाहरण बन गई है ऐसे आस्थावान ऊर्जावान लोगों के उदाहरण जगह जगह दिए जा रहे हैं अपने धर्म के प्रति संस्कृति के प्रति तथा अपने मठ मंदिरों के प्रति इतनी उर्जा आस्था त्याग प्रेम समर्पण जो कि सिर्फ लोस्तु बडियारगढ़ के लोगों में देखा जा सकता है। बडियार गढ़ के लोगों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है कि अपने पौराणिक आस्था तथा मठ मंदिरों के रखरखाव, सुंदरीकरण एकजुटता के साथ कैसे किया जाता है मैं हृदय से यहां के लोगों को बधाई देता हूं और मेरा मन प्रफुल्लित हुआ यह सब देख कर जिसको मैं शब्दों के जरिए बयां नहीं सकता हूं।


लोस्तु बडियार गढ़ पट्टी आध्यात्मिक का केंद्र होने के साथ-साथ प्रकृति पर्यावरण तथा प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है यहां की सुंदर पहाड़ियां जिन पर घने बांज बुरांश के जंगल तथा पहाड़ियों पर बसे सुंदर सुंदर गांव सीडी नुमा खेती और आज भी यहां के लोग अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं यह क्षेत्र प्रचुर मात्रा में पर्यटन को न्योता दे रहा है पर्यटन के दृष्टिकोण से यह क्षेत्र बहुत ऊंचे स्तर पर उजागर किया जा सकता है विलेज टूरिज्म होमस्टे इको टूरिज्म आदि पर्यटन के नए आयामों को इस चित्र में विकसित किया जा सकता है यहां के ऊंचे ऊंचे पर्वतों से तथा घने वनों से निकलने वाले पैदल मार्ग जो कि इस पट्टी को कहीं अन्य स्थानों से जोड़ता है जिसमें रुद्रप्रयाग टिहरी घनसाली बूढ़ा केदार आदि प्रमुख है्.

इस अवस्‌र पर घंटा कर्ण देव के ढोल सागर बेताओ ‌ने पारंपरिक ढोल नगाड़ों की ध्वनियां बजाकर घंटा कर्ण भगवान के पहर लगाये। ढोल नगाड़ों की वैदिक ध्वनि तरंगों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होरहा था। इस अवसर पर बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, देवस्थानम बोर्ड के अपर सचिव बी डी सिंह, विधायक विनोद कंडारी, पत्रकार मनमोहन सिंह, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर बर्त्वाल बडियारगढ़ी, आनंद भंडारी, उत्तम भंडारी तथा क्षेत्र की जनता ने कार्यक्रम की शोभा बढायी.