जागरों की नई देवी – हेमा नेगी करासी
जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’
सेम – मुखेम जागर का विडियो एल्बम हुआ लांच
जागर गायन की नयी देवी के रूप में दिखी हेमा नेगी करासी
विडियो का सुन्दर फिल्मांकन
शानदार गीत व संगीत
उत्तराखंड के घर गावों में जागर (कुमाओं) अथवा घंडीयाला (गढ़वाल) गायन की प्रथा सदियों से चली आ रही है. जागर गायन मुख्यतया पूर्वजों को समर्पित एक ऐसी गायन शैली है जिसके विशेषग्य गायक व उसको धुन देने वाले अलग विशेषता रखते रहे है. इनको जागरी कहा जाता है. यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक श्रुत शैली से पहुँचता रहा है. जागर गायन के माध्यम से पूर्वजों को प्रकट कर उनको प्रसन्न किया जाता है व उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है ऐसी समाज में मान्यता है. कई बार जब कोई पारिवारिक सदस्य परिवारजनों के आचार ब्यवहार से तंग आ जाता है तो वह अपने पूर्वजों को याद करता है तो अपराध करने वाले को पूर्वज सजा भी देते है और उसकी मुक्ति के लिये अपराध करने वाले को अपने पूर्वजों का जागर लगाना पड़ता है. पूर्वज जागर गायन के दौरान प्रकट होकर माफ़ भी कर देते है. इतिहास में जागर मूलतः पूर्वजों, राजाओं, बीर – भड, देवी – देवताओं, राक्षसों, अप्सराओं, प्रेमियों, विद्वानों, योगियों आदि के गए जाते रहे है और यही परंपरा आज भी प्रचलित है.
जागर गायन का जिक्र यहाँ में इसलिए कर रहा हूँ की हेमा नेगी करासी का नया गीत विडियो एल्बम ‘सेम नागराज जागर’ हेमा नेगी करासी के ऑफिसियल युटुब चेंनल पर जारी हुआ है. इस जागर गायन से हेमा की प्रतिभा का नया अध्याय शुरु हो गया जैसा लगता है. जिस खूबसूरती से हेमा ने जागर गायन किया है उतना ही खूबसूरत इसका फिल्मांकन भी किया गया है. जब से गीतों का इलेकट्रोनिक संस्करण सुरु हुआ है तब से लेकर अभी तक बहुत प्रयोग हो चुके है. सुरुआत केशव अनुरागी व चन्द्र सिंह राही, कपोतरी देवी, हीरा सिंह राणा से होकर प्रीतम भरतवाण, बसंती बिष्ट और हेमा नेगी करासी तक पहुँच चूका है. दरअसल मूल जागर गायन में पुरानी धुनों का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है, यहाँ तक की उसके बाध्य यन्त्र भी एक समान ही रहे है लेकिन आधुनिक पीढ़ी ने इसमें नए प्रयोग कर आधुनिक बाध्य यंत्रों का प्रयोग शुरू कर दिया है जिससे कहीं न कहीं मूल तत्व गायब हो जाता है.
खैर हेमा नेगी करासी का गाया यह जागर टीहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध धाम सेम – मुखेम को समर्पित है. यह धर्मस्थल भगवान् कृष्ण और नागराज के साथ – साथ रैका रमोली के प्रसिद्ध भड़ गंगू रमोली की कहानियों के लिये भी जाना जाता है. हेमा ने इस जागर में उत्तराखंड के अधिकांश ऐतिहासिक पात्रों व कहानियों को शामिल किया है जिनको कभी न कभी कहीं न कहीं लोगों ने जरुर सुना होगा. इस जागर में शेम नागराजा, नौ भाई नाग, श्री शेम मुखेम, क्षल्बली नारेंन, सिदुआ – बिदुआ, गंगू रमोला, बासुकी नाग, शेषनाग, कैलारानी, इंगला रानी, पिंगला रानी, नौ बैनी आक्षरि, बारह बौराण, ब्रह्म कॉल, सुरजू कॉल, माता मैनावती व सेम मुखेम के आस पास के प्रसिद्ध इलाकों जैसे तलबला सेम, प्रगटा सेम, सतरंगी सैण,रैका व रमोली पट्टियों का सुन्दर विवरण के साथ जागर के माध्यम से पुरानी कथाओ को सामने लाने का काम किया है. हेमा के सेम मुखेम जागर में पुरानी कथाओं का सागर भरा पडा है यह इस जागर की विशेसता हैं.
पयेडी पराज लांदु
अयेडी बाडुली
राजी ख़ुशी राखी देवों
मैती घरों मा ,
हे जसीला देवी देवतों
जसीला हवे जायां
जागर के अंतिम भाग में जब हेमा ऊपर लिखे गीतों की लाइनो को कर्णप्रिय सुरों में गाती है तो भावनायें आंसुओं की धारा के रूप में बहने लगती हैं. और यहाँ तक कि हेमा खुद भी भावुक होकर रो पड़ती है. यह दृश्य दर्शकों को बिचलित कर देता है.
सेम मुखेम जागर का प्रोडक्शन डिजाइन बहुत शानदार व जागरों के अनुकूल है. वस्त्र सज्जा, आभूषण, बाध्य यंत्र, पूजा पद्धति, देव अवतरण से लेकर अभिनय कर्ताओं के शानदार अभिनय वास्तविक जागर को प्रदर्षित करता सुनाई व दिखाई देता हैं. हेमा नेगी ने जागर के विडियो में मुख्य अभिनय भी खुद कर जागर को असली स्वरुप प्रदान किया है. जिस उर्जा व भावना से सेम मुखें जागर का गायन किया गया है उसी उर्जा व समर्पण से इसका फिल्मांकन भी किया गया है. जागर लेखन, गायन, कम्पोजिसन जहाँ खुद हेमा नेगी करासी ने वही इसको सुन्दर संगीत से सजाया है गुंजन डंगवाल ने, रिदम के मास्टर है सुभाष पाण्डेय व महेश चन्द्र. इस जागर का सुन्दर फिल्मांकन शुभम कैंतुरा ने किया है जिनका साथ निभाया है शिवम् भट्ट ने. एक ही बात मुझे कहनी है कि फिल्मांकन में जिस तरह लोक बाध्य यंत्रो को शामिल किया गया है काश कि उनको भी संगीत में भी स्थान दिया जाता तो इस जागर की बात ही अनोखी होती. यह लोकगीतों, जागरो सहित कई गीतों व विडियो में देखा गया है. सेम मुखेम के जागर गीत के संगीत में भले वह गायब है लेकिन निर्देशक ने जिस खूबसूरती से बाध्य यंत्रो का सही इस्तेमाल सही जगह पर किया है उससे यह कमी काफी हद तक दूर हो जाती है.
सेम मुखेम जागर गीत के विडियो संस्करण मैं रोशन, प्रकाश, राज, नीरज, रोजी, दीपिका, शालू, कंचन,आरती, महेश चंद, मोंटी, मनोज, अंजू व शुभम ने शानदार अभिनय से जागर को जीवंत किया है. निर्माण प्रबंधन संगीता थल्वाल व हिमानी रावत ने किया है. विडियो एल्बम के संयुक्त निर्माता महिपाल सिंह रावत व हेमा नेगी करासी हैं. सेम मुखेम जागर को दर्शकों की भावनाओं, ऐतिहासिक परम्पराओं को बारीकी से पकड़कर निर्देशक सोहन चौहान ने जिस समर्पित भाव व डूबकर इस जागर का विडियो निर्देशन किया है वह काबिले तारीफ़ है. हेमा नेगी करासी व सोहन चौहान के समन्वयन का ही नतीजा है की यह जागर जल्दी ही लोगो के बीच लोकप्रिय होने जा रहा है व हेमा की लाइव प्रस्तुति का भी लोग इंतज़ार करेंगे.