November 21, 2025



हरीश रावत मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं?

जयप्रकाश पंवार ‘जेपी’


इधर पिछले कुछ माह से उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी में आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर एक अजीब सा घमाशान चल रहा है,


कि चुनाव चेहरे को लेकर लड़ा जाये या नहीं? इसका निर्णय तो पार्टी को लेना है. लेकिन जिस तरह राज्य में कांग्रेस की स्थिति हैं उस हालात में अगर कोई मजबूत चेहरा उपलब्ध है तो इसमें हर्जा किस बात का है. ये जगजाहिर है कि बर्तमान समय में उत्तराखण्ड में अगर कोई मास लीडर है तो वो हरीश रावत ही हैं. बर्तमान में कांग्रेस पार्टी के पास ही नहीं बल्कि विपक्षी पार्टियों के पास भी हरीश रावत के टक्कर का कोई नेता नहीं है, ये उत्तराखंड की आम जनता भली भांति जानती है. अब ये बात कांग्रेस आलाकमान को समझना चाहिये कि चेहरे पर चुनाव लड़ना उत्तराखंड में फायदे का सौदा हो सकता है. और वो चेहरा हरीश रावत से बेहतर फिलहाल कोई नहीं हो सकता है. पांच बार सांसद, केंद्र में कैबिनेट व राज्य मंत्री, उत्तराखंड में कांग्रेस को जीवित करने वाले हरीश रावत गढ़वाल व कुमाओं में सांसद, सुदूर धारचुला से विधायक चुने जाने वाले बड़े जनाधार वाले नेता को उत्तराखंड कांग्रेस के चुके हुए नेता, अगर हरीश रावत के चेहरे पर नानुकर कर रहे हैं तो अपने लिए ही गड्डा खोद रहे है. आज जो घमाशान बीजापुर गेस्ट हाउस मे उत्तराखंड भाजपा में इस वक़्त चल रहा है, उसमें भाजपा को हरीश रावत के चेहरे का भूत सता रहा है जो अति महत्वपूर्ण बजट सत्र की मर्यादा को ताक़ पर रखकर भरारीसैण से विधायकों व अधिकारियों को तुरत – फुरत में बीजापुर गेस्ट हाउस तलब कर देती है. और ये भी नहीं सोचती की इस पर जनता के खून पसीने की कमायी जाया हो जाएगी. सत्ता बनाये रखने की ललक में इस तरह का कदम भाजपा को नुकशान पहुंचाने वाला साबित हो सकता है. यह बैठक बजट सत्र के बाद भी बुलायी जा सकती थी. यह उतावलापन चुनावी वर्ष में अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष के अन्त तक भाजपा को बड़ा डेंट दे सकता है. पार्टी को अगर दुबारा सत्ता में आना है तो, आज की हबड़ धबड़ वाली इन चूको से बचना होगा.