युवाओं के हवाले भाजपा
महावीर सिंह जगवान
हमेशा की तरह सबको चौंकाते हुये श्री अनिल बलूनी जी राज्य सभा के लिये उत्तराखण्ड से प्रत्याशी घोषित हो गये हैं।
भविष्य मे एक और बड़ा आश्चर्य समझे या तोहफा आदरणीय बलूनी जी मोदी सरकार के अंतिम मंत्रालय विस्तार मे भारत सरकार मे स्वरातंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप मे दिखेंगे। भाजपा उत्तराखण्ड मे नई रणनीति के तहत बढ रही है यहाँ पुराने स्तम्भ मतभेद से घिरे हैं साथ ही बढती उम्र से जूझ रहे हैं इन सवालों के समाधान भाजपा नये चेहरों के रूप मे तय कर रही है। यह कोशिष दो लक्ष्यों को एक साथ प्राप्त करने की है,पहला भारी बहुमत की त्रिवेन्द्र सरकार को खींचतान से मुक्त रखना और दूसरा केन्द्र सरकार का राज्य पर पूर्ण नियन्त्रण।
गैरसैंण राजधानी के आन्दोलन ने भी आदरणीय बलूनी जी का राज्य सभा के लिये पथ प्रशस्त किया है, इस समय उत्तराखण्ड के मूल निवासियों मे गैरसैंण के लिये बढचढकर एकजुट हो रहे हैं, उत्तराखण्ड मे वर्तमान राजनैतिक दौर संवेदनशील राहों से गुजर रहा है। उत्तराखण्डी राज्य बनने के अट्ठारह साल बाद अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं, जिस उद्देश्य की रक्षा के लिये अटल जी ने राज्य बनाया था वह निरन्तर निर्जन और मानव विहीन हो रहा है। तीन चौथाई पर्वतीय उत्तराखण्ड मानव के साथ शसक्त राजनीति का भी अकाल झेल रहा है परिणति गाँव खेत खलिहान बंजर हो रहे हैं और राज्य मे राजनैतिक प्रभाव घट रहा है।
हाल ही मे त्रिवेन्द्र सरकार का सहारनपुर को उत्तराखण्ड मे मिलाने वाले बयान ने गैरसैंण के आन्दोलन मे घीं डालने का काम किया है, इस बयान से भी त्रिवेन्द्र सरकार की छी छी हो रही है। अटल ने बनाया है मोदी जी सँवारेगे का नारा जमीन पर फिलहाल उतरता नहीं दिखता निश्चित रूप से इकतरफा जीत और राजनैतिक घटोत्कक्षों की बड़ी जमात त्रिवेन्द्र सरकार को सहजता से बढने मे बाधक है, सीधे शब्दों मे कहें त्रिवेन्द्र सरकार मे टीम भावना से काम पटरी पर नही लौट पा रहा है इसके बिना जमीनी बदलाव की गुन्जाइश कम है।
भारत सरकार की तीन महत्वाकाँक्षी योजना स्पष्ट कहें मोदी साहब के ड्रीम प्रोजेक्ट 1-सीमान्त क्षेत्रों के साथ चार धाम रेल मार्ग 2-चार धाम यात्रा मार्ग को ऑल वेदर रोड के रूप मे विकसित करना 3-नमामि गंगा परियोजना के अंतर्गत गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छता और सौन्दर्यकरण से आच्छादित करना।
उपरोक्त तीनो परियोजनायें मोदी सरकार की ओर से उत्तराखण्ड के लिये बड़े तोहफे हैं इनका समय पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण और विकास उत्तराखण्ड की समृद्धि मे मील का पत्थर साबित हो सकती थी।
दुर्भाग्य से तीनो परियजनायें समय से लेट चल रही हैं, रेलवे और ऑल वेदर मे वन और राज्य सरकार की भूमियों का अधिग्रहण हो चुका है जबकि प्रभावितों के हितों और मुआवजे के प्रकरणो को साल भर तक हो गया है, नमामि गंगा परियोजना मे दस फीसदी से भी कम धन का ब्यय हुआ है कहीं कहीं घाट आप देख सकते हैं लेकिन औसतन सभी निर्माण और सौन्दर्यीकरण नदी के अतिप्रभावित बहाव जोन मे ही है स्पष्ट है इन कार्यों पर हुये भारी ब्यय का लाभ दीर्घजीवी होना संदेह से भरा है।
सबसे बड़ा सवाल है मोदी सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम छोर पर है और परियोजनाऔं के लिये आवंटित बड़ी धनराशि समय से ब्यय नही हो पा रही है। परियोजनाऔं की भारी लेटलतीफी आने वाले समय मे लागत को कई गुना बढायेगी बदलती अर्थब्यवस्था मे बढी लागत के कारण सरकार इन परियोजनाऔं के प्रति उदासीनता भी अपना सकती है, जो उत्तराखण्ड के लिये बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
उत्तराखण्ड मे भाजपा सरकार के मुखिया त्रिवेन्द्र जी तात्कालिक परिदृष्य मे अकेले लग रहे हैं भले ही केन्द्र का वरदहस्त है लेकिन जनआकाँक्षाऔं और सरोकारों के समाधान पर उनकी पकड़ अभी भी ढीली है, उत्तराखण्ड मे गैरसैंण राजधानी आन्दोलन निरन्तर जोर पकड़ रहा है इस संघर्ष के केन्द्रीय अध्यक्ष के तौर पर युवा चारू तिवारी का चयन होना स्पष्ट करता है यह मामला निरन्तर गति पकड़ेगा सरकार को बड़े फैसले लेने की तैयारी करनी चाहिये।
उत्तराखण्ड मे सत्ता के मुखिया श्री त्रिवेन्द्र जी के लिये श्री अनिल बलूनी का राज्य सभा मे जाना बड़ी मदद मानी जायेगी और इनका बड़ा काम है आपस मे मिलकर राज्य की आन्तरिक राजनीति और विकास की गति को प्रबन्धन करना। श्री अनिल बलूनी जी को हार्दिक बधाई आशा के साथ पूर्ण विश्वास है आप जनभावनाऔं की कद्र करते हुये गैरसैंण राजधानी और मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्टों को गति देंगे।अनंत शुभकामनायें।