अंधेर नगरी – चौपट राजा
मनोज रावत
चमोली जिले का एक कस्बा है गौचर। हर साल नवंबर में होने वाले मेले और मैदान के लिए प्रसिद्ध है।
परसों रात वंहा से गुजरा तो शहर का अंधेरा डरा रहा था। कल दिन में पंहुचा तो जगह- जगह गंदगी के ढेर पड़े थे। पता चला कि 4 दिन से सफाई कर्मी, नगरपालिका के कर्मी 3 महीने से बेतन न मिलने के कारण हड़ताल पर हैं और बिल जमा न होने के कारण, कस्बे की स्ट्रीट लाइट भी बिजली विभाग ने काट दी है। कारण ! सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को लगातार दूसरी बार जीते नगरपालिका, अध्यक्ष, मुकेश नेगी की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां सीज़ करके, जिला अधिकारी को दे दी थी। नेगी इस निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय गए। 9 जनवरी 2018 को उच्च न्यायालय ने मुकेश नेगी के पक्ष में निर्णय दे दिया। निर्णय के 45 दिन बाद भी शासन ने अभी तक मुकेश नेगी को चार्ज नही दिया। इसलिए जिलाधिकारी चमोली बेतन और अन्य बिलों पर हस्ताक्षर नही कर रहे हैं।
नतीजा आज 28 सफाई कर्मी ओर अन्य 15 कर्मी 3 महीनों से बिना बेतन के भुखमरी की कगार पर पंहुच गए हैं। ठेकेदारों के भुगतान नही हो रहा है वे भी सब स्थानीय युवा हैं। मार्च आने को है और अभी तक चौथे बित्त और राज्य बित्त से मिले धन की उपयोगिता नही गयी है। जिस आने वाले सालों में नगरपालिका गौचर को बजट नही मिल पायेगा, और पालिका क्षेत्र का विकास रुक से जाएगा। सरकार की एक ही कोशिश है कि, किसी भी तरह समय काटा जाए चुनाव आने वाले हैं पर 2 बार चुनाव लड़ कर, जीते मुकेश नेगी को चार्ज न लेने दिया जाए।
जिस मामले में मुकेश नेगी की शक्तियां सीज की गई उनमें पहले भी शासन स्तर की जांच हुई पर नेगी बेदाग निकले। कुछ उत्साही राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में इन ही आरोपों को लेकर जन हित याचिका दायर की। उच्च न्यायालय का निर्णय भी नेगी के पक्ष में आया। इस मामले में डबल बेंच ने अपील सुनने से भी इंकार कर दिया। फिर भी उत्साही लोग स्पेशल बेंच में अपील करने गए। जब इसी जांच पर मामला कोर्ट में चल रहा था ही था नेगी पर कानूनन शासन कार्यवाही नही कर सकता था। की भी तो फिर उच्च न्यायालय में हार गए। पर अब जिद है कि चार्ज नही देंगे। देश भर में भाजपा प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक किसी भी राजनीतिक पद पर किसी विपक्षी को रहने नही देने की जिद ओर अहंकार पाले है।
अब पालिका चुनावों को अगले 2 महीनों में होना है। मुकेश नेगी का सम्मान उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय से स्थापित कर दिया है। इसलिए उनके लिए चार्ज महत्वपूर्ण नही रह गया है। संभवतया कोर्ट की अवहेलना भी करेंगे। पर, “सांडों की लड़ाई में जमीन के सत्यनाश ” की तरह इस लड़ाई में गरीब कर्मचारियों और गौचर नगर पालिका का नुकसान हो रहा है। सरकार अगर मुकेश नेगी को चार्ज न देने की जिद पाले है तो कम से कम किसी अधिकारी को इन छोटे कर्मियों ओर ठेकेदारों के बेतन बिलों व अन्य बिलों को पास करने ओर अन्य कार्यों के लिए तो आदेशित कर सकती है। पर प्रदेश में कंही सरकार हो तो करेगी न !
(लेखक मनोज रावत केदारनाथ के विधायक हैं)