October 9, 2025



देश की लाइफ लाइन थे बलवंत सिंह नेगी

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डॉ. योगेश धस्माना


बलवंत सिंह नेगी का जन्म 1920 में पिता पृथ्वी सिंह नेगी के घर पौड़ी में हुआ था। पिता कलेक्ट्रेट में 1916 में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। पृथ्वी सिंह नेगी अपनी कार्य कुशलता और विद्वता के चलते समाज ओर सरकारी सेवा में लोकप्रिय व्यक्ति थे। इनका पूरा परिवार आदर्श ओर उच्च शिक्षित था। बड़े पुत्र बलवंत ने पौड़ी मिशन से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर इलाहाबाद से एम. एस. सी. परीक्षा पास करने के उपरांत पी. एच. डी. कर ओ. एन. जी. सी. में अपनी सेवाएं देना शुरू किया। बलवंत सिंह नेगी अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्व विद्यालय से कैमिकल पेट्रोलियम में पी. एच. डी. करने वाले पहले भारतीय भी थे। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग भारत सरकार में चेयरमैन पद पर पहुंचने वाले वे अब तक के इतिहास में पहले व्यक्ति बने हुए हैं। इनका विवाह ग्राम सूला ब्लॉक क्लजीखाल के प्रतिष्ठित ठाकुर सिंह नेगी, आई. जी. राजस्थान पुलिस की पुत्री विद्या से हुआ था। इनके दो पुत्र हुए। बड़ा पुत्र रविन्द्र आई. पी. एस. अधिकारी के रूप में महाराष्ट्र सरकार में प्रमुख सचिव पद से रिटायर हुए। दूसरा पुत्र देवेंद्र कानपुर आई. आई. टी. इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद अमेरिका में रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े हैं।

बलवंत सिंह जी को बंबई के समुद्र से तेल की ढूंढ करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। एक अवसर ऐसा भी आया कि जब सरकार के भारी खर्च के बावजूद सफलता मिलना दूर की कौड़ी लग रही थी, तब उन्हें सरकार ओर इंद्रा गांधी से मिलकर एक प्रयास करने की अनुमति मांग कर सिंगापुर की कंपनी का सहयोग लेकर आख़िरकार तेल निकलने में सफलता प्राप्त कर ही ली। प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी बलवंत नेगी की इस सफलता के बाद उनकी इतनी मुरीद हो गई थी कि रूस, ईरान, सिंगापुर आदि देशों के साथ तेल और तकनीकी सहयोग से जो अधिकांश समझौते हुए, उनमें इंदिरा के साथ बलवंत सिंह नेगी उनके साथ विदेश दौरों में रहे। इस विलक्षण प्रतिभा के चलते ही उन्हें आगे चलकर तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया। आज भी देश के वैज्ञानिक बलवंत सिंह नेगी की प्रतिभा के बारे में बताते हैं कि, उनकी दूर दृष्टि के कारण ही आज सरकार को बंबई हाई से आज तक तेल मिल रहा है। देहरादून स्थित ओ एन जी सी. के मुख्य परिसर में स्थापित एक इमारत नेगी भवन के रूप में उनके अभूतपूर्व कीर्तिमान ओर उनके असाधारण व्यक्तित्व का स्मरण कराती हैं।यह एक गर्ल्स पॉलीटेक्निक भी उनके नाम से समर्पित है।


पौड़ी के इस प्रतिष्ठित परिवार में उनके छोटे भाई प्रो जसवंत सिंह नेगी देश के जाने माने इतिहास कार रहे हैं। प्राचीन इतिहासकारों ने उनकी गिनती दक्षिण एशिया में चुनिंदा विद्वानों में होती है। तीसरे भाई हनुमंत सिंह उतर प्रदेश रोडवेज में महा प्रबंधक रहे, छोटे भाई भूपेंद्र सिंह भी यूपी रोडवेज में रीजनल मैनेजर रहे। इनके एक अन्य भाई भगवंत सिंह पौड़ी के सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में 1940 से 1980 तक बहुत सक्रिय रहे थे। पौड़ी रामलीला के दृश्य संयोजन ओर निर्देशन में रामलीला ओर नवयुवक संघ के नाटकों में उनके निर्देशन की याद आज भी पुरानी पीढ़ी के लोग करते हैं। आज अब पृथ्वी सिंह जी के पौत्र और भगवंत सिंह जी की पुत्र आशुतोष ओर सुनील उनकी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करते नजर आते है।लेकिन बलवंत सिंह नेगी जी की अंतरराष्ट्रीय ख्याति को आज की पीढ़ी जानती तक नहीं हे। उनका पौड़ी स्थित पैतृक आवास एक गौरवशाली परंपरा की याद ओर स्मरण अवश्य दिलाता रहता हैं। इस महान परिवार के महान हस्तियों को हार्दिक नमन। इस पोस्ट में एक फोटो बलवंत सिंह जी का ओर एक फोटो पिता के साथ बाल्यकाल का पाठकों के लिए भेज रहा हूँ। अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं।