सौड़ गांव – बदलती तस्वीर
संदीप गुसाईं
रंगों से खंडहर होते घरों को कर दिया जीवंत,
सौड़ गांव की बदलेगी तस्वीर. टिहरी गढवाल में चम्बा से करीब दस किमी की दूरी पर एक गांव स्थित है सौड़. सौड़ गांव गिगत जून महीने में अचानक सुर्खियों में आ गया। इस गांव के बारे में जब सुना कि खंडहरों की वीरानी को रंगों की कलाकृतियां तोड रही है तो हम खुद इस गांव के दीदार के लिए निकल पड़े। मसूरी धनौल्टी रोड पर कानाताल से कुछ दूरी पर ग्रामीण सडक में सौड़ गांव के लिए जाती है। ये तो कटु सत्य है कि पहाड के हर गांव से पलायन हुआ है. किसी गांव से कम तो कोई गांव पूरी तरह गैरआबाद हो चुका है। जब हम इस गांव पहुचे तो देखकर हैरानी हुई. गांव में सड़क है और कई सालों पहले बिजली भी पहुच चुकी है। बावजूद इसके इस गांव में किसी जमाने में बच्चों की किलकारी गूंजती थी. शादी ब्याह के दौरान गांव की महिलाएं एक साथ रोटी बनाती थी. गांव के पुरुष एकजुट होकर हर धार्मिक कार्य में जुटे रहते थे। करीब 70 परिवारों के इस गांव को समय ने धीरे धीरे विरानी में बदल दिया और आज मात्र 12 परिवार बचे है। पिछले साल दीपक रमोला इस गांव के लिए शायद खुशियां लेकर आया। दीपक रमोला ने अपने साथ कई युवाओं की टीम लेकर खंडहर हो चुके मकानों में कई कलाकृतियां बनाई। खंडहर घरों के छतों से पुरानी पत्थर की स्लेट पर कई संदेश ऊकेरे जो आज भी गांवों में रखे हुए है। पलायन को पर्यटन से जोडकर दीपक रमोला ने पिछले वर्ष जून के महीनों में पूरे गांव की दीवारों को बेहतरीन कलाकृतियों से सजा दिया। बीना देवी के घर पर उन्ही की बेटी की तस्वीर बना दी। सुनीता की तस्वीर देख कर बीना देवी भावुक हो जाती है वे कहते है कि वे जब भी इसे देखती है उसकी आखें नम हो जाती है। मन में यही खयाल आया कि ये तस्वीर पहाड के 12 हजार गांवों की है। एकेश्वर ब्लाक में मेरा नावा गांव है जहा 25 से ज्यादा परिवार रहते थे लेकिन अब मात्र तीन परिवार बचे है।
गांव की प्रधान ममता रमोला कहती है कि जब से गांव में रंगों की रौनक हुई है तब से कई पर्यटक यहां पहुचे है। 15 जनवरी को प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर भी आए थे। वे कहती है कि अब उन्हे यकीन हो गया है कि सौड़ गांव एक आदर्श पर्यटन गांव बन सकता है। ममता कहती है कि सालों से गांव से पलायन होता रहा। लोग गांव छोडकर पास ही में जड़ीपानी, धनोल्टी, चम्बा, टिहरी और देहरादून जैसे सुविधाजनक स्थानों की ओर जाते है लेकिन इसी ब्लाक के कोट गांव के दीपक रमोला ने पहाड़ की जीवन शैली, रीति रिवाज से कई नायाब चित्रकारी बना कर पूरे गांव को प्रसिद्व कर दिया। फ्यूल संस्था ने सौड़ गाव में जो घर जिसके लिए प्रसिद्व उसी का चित्र बनाया। गांव के बेरोजगार युवाओं को भी अब नई आस दिखाई दे रही है। गिरवीर रमोला कहते है कि रंगो की ऐसी कलाकारी उनके गांव में हुई जिसकी उन्हें भी उम्मीद नही थी। खंडहर घरों की दीवार पर चित्रों के माध्यम से गांव की जीवन शैली और ईतिहास को दर्शाया गया है। एक घर की दावार पर आकाशवाणी के जरिए समाचार सुनते कुछ लोग है तो एक घर की दीवार पर पालकी में दूल्हा और डोली में दुल्हन का चित्र बनाया गया है। ढोल दमऊ, स्कूल जाते बच्चे, घास काटती महिलाएं सहित कई चित्र बनाए गये है। चम्बा ब्लाक प्रमुख आनन्दी नेगी बताती है सौड़ गांव के लिए अब पर्यटन ग्राम का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।