दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री का पौड़ी कनेक्शन
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डॉ. योगेश धस्माना
दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री ब्रह्मप्रकाश का नाम कम ही लोगो ने सुना होगा। किंतु इससे भी कम लोग जानते होंगे कि उनके पुत्र वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर, सुरेश की ससुराल पौड़ी स्थित गंडोली टी स्टेट में चौफीन परिवार में रही है। पौड़ी के प्रतिष्ठित चौफीन परिवार की लड़की डोरीन का विवाह दिल्ली में 1968 में हुआ था। डोरीन के दादा डी. ए. चोफीन ने 1862 में पौड़ी में पहला चाय बागान लगाया था। इसके बाद उन्होंने मुसेटी थलीसैंण में भी चाय बागान लगाया था। इसे बाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्तदर्शन के पिता गोपाल सिंह रावत ने खरीदा था। इनके पूर्वज 18वी सदी में चीन से टी गार्डन एक्सपर्ट के रूप में लाएं थे।इनका पूर्वज अ सी वांग था। ब्रिटिश अधिकारी इन्हें चीन ओर तिब्बत पर उत्तराखंड से नजर रखने के लिए भी लाए थे, ऐसा कुछ लेखकों का मानना रहा है। चौधरी ब्रह्म प्रकाश की बहु डोरीन ने कुछ वर्ष तक गंडोली स्कूल में पढ़ाया। इस स्कूल की स्थापना 1889 में अमेरिकी मिशनरियों द्वारा की गई थी। 1994 में भारत में रहे अमेरिकी राजदूत फ्रैंक वेजनर की दादी ने यहां स्कूल और बोर्डिंग के साथ अनाथालय भी खोला था। आज अब केवल स्कूल चल रहा है। डोरीन और उसके बच्चे आज भी यहां आ कर पूर्वजों की स्मृतियों को ताज़ा करते है। डोरीन की लड़की मधुप्रिया चौधरी सिन्हा दिल्ली में पब्लिशिंग हाउस चलाती है। डोरीन चोफीन बहुत लम्बे अरसे तक दिल्ली में ज्वेलरी डिजाइनर रही है।
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गढ़वाल के चौफीन परिवार की एक विशेषता उनका गढ़वाली में बोलना और पहाड़ी संस्कृति के अनुरूप अपने को अपनाना था। दिल्ली में विवाह के बाद जब डोरीन का परिवार पौड़ी स्थित गंडोली टी स्टेट में सगे संबंधियों और पौड़ी वासियों को दावत देने आए, तो उनके सास ससुर भी साथ थे। पौड़ी से चौखंबा ओर नंदादेवी शिखरों को देख कर दोनों अभिभूत हुए। उनकी समधन ने भी दिल्ली से आए रिश्तेदारों की न सिर्फ आवभगत की, वरन् उनके स्वागत में ढोल वादकों और मशक बीन की पहाड़ी धुनों से उनका स्वागत किया। हरिदास के गायन और पंडित बचीराम डोभाल के मंत्रोचारण के बीच मेहमानों का स्वागत किया गया। इससे पहले दिल्ली में 18जनवरी 1968में विवाह के अवसर पर नामचीन हस्तियों में केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम, काग्रेस अध्यक्ष निजलीग गप्पा, विदेश मंत्री दिनेश सिंह, लेफ्टिनेंट गवर्नर एन झा, एयर चीफ मार्शल अर्जुन सिंह सहित उच्च ओर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हुए थे। पौड़ी की इस लड़की ने भी दिल्ली में अपने को विशुद्ध पहाड़ी गढ़वाली के रूप में स्थापित कर लिया था। डोरीन अमृता चौधरी ने अपनी आभा ओर सेवा से ससुराल में सभी का दिल जीत लिया था।
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डोरीन के ससुर दिल्ली में 5 बार सासंद रहे। केंद्र में कृषि सहकारिता, सिंचाई मंत्री रहने के साथ अनुसूचित जाति और अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे थे। अपनी बहु के साथ गर्मियों में कई बार वह पौड़ी आए। अगस्त 2001में उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था। 16 जून को प्रतिवर्ष दिल्ली विधान सभा में उन्हें उनकी जयंती पर याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है। महज 34 वर्ष की आयु में वे दिल्ली के मुख्यमंत्री ओर बाद में कांग्रेस पार्टी दिल्ली के अध्यक्ष बने थे। पौड़ी के चौफीन परिवार ने देश विदेश में अनेक हस्तियों को जन्म दिया। ईसाई समुदाय के होते हुए भी हिंदू और गढ़वाली संस्कारों से आज दिन तक अपने को अपनाए हुए है, इस सांझी विरासत और संस्कृति का अनुपम ओर अनूठा उदाहरण है। इस पोस्ट को लिखते समय मुझे डोरीन की पुत्री मधुप्रिया सिन्हा की पुस्तक चोफ़ीन ऑफ गढ़वाल का विशेष सहयोग मिला। सभी फोटों उसी पुस्तक से लिए गए है।
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लेखक लोक इतिहासकार हैं