February 1, 2025



ब्रिटिश गढ़वाल के प्रथम स्नातक गोविंद प्रसाद घिल्डियाल

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डॉ. योगेश धस्माना


गोविंद प्रसाद घिल्डियाल का जन्म 27मई 1870, को ग्राम डांग श्रीनगर गढ़वाल में पिता रविदत्त के घर पर हुआ था। ये गढ़वाल के प्रथम स्नातक और डिप्टी कलेक्टर भी थे। 1890 में बरेली कॉलेज से स्नातक और 1907 में पहले गढ़वाली डिप्टी कलेक्टर भी थे। हिंदी, अंग्रेजी, और संस्कृति के साथ गढ़वाली भाषा के भी प्रकांड विद्वान थे। बरेली कॉलेज में उनकी पहल पर गढ़वाली विद्यार्थियों ने गढ़वाली डेविटिंग क्लब बनाया था। 1901 में उन्होंने गढ़वाली भाषा की पहली पुस्तक राजनीति कू पैलो भाग प्रकाशित की थी।

प्रखर भाषा विज्ञान शास्त्री होने के कारण ही जार्ज ग्रेशियन ने अपने लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के प्रकाशन में इनसे गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं पर काम करने पर इनसे मदद मांगी थी। इनकी योग्यता को देख कर 1922 में सरकार ने इन्हें राय बहादुरी खिताब से नवाजा था। हिंदी के प्रति इन्हें स्वाभाविक लगाव था। अंग्रेजी के नाटककार शेक्सपियर के ओथेलो नाटक का हिंदी अनुवाद की अनेक अंग्रेजी नाटकों का मंचन ओर अभिनय भी किया।


गोविंद प्रसाद उच्च कोटि के लेखक भी थे, इन्होंने गढ़वाली सैनिकों की सेवाएं। गढ़वाली औखाण पुस्तकें भी प्रकाशित की थी। मृत्यु से पूर्व अनेक वर्षों तक ये उन्नाव में डिप्टी कलेक्टर रहे। इनके बड़े पुत्र रघुनंदन प्रसाद घिल्डियाल 1974में अल्मोड़ा में डीएम रहे थे। छोटे पुत्र हिंदी गढ़वाली के सुप्रसिद्ध लेखक और कथाकार रमा प्रसाद घिल्डियाल उर्फ पहाड़ी थे। गोविंद प्रसाद का महज 58 वर्ष की अवस्था में नौकरी के दौरान ही हृदय गति रुकने के कारण लैंसडौन में निधन हो गया था। जवाहर लाल नेहरू भी इनके प्रशंसक थे 1938 में जब नेहरू श्रीनगर गढ़वाल आए थे, तब डांग में इनके परिजनों के श्राद्ध में शामिल हुए थे।


इस पोस्ट में गोविन्द प्रसाद जी का फोटो और पुत्र रमा प्रसाद घिल्डियाल “पहाड़ी” जी और उनकी पत्नी का फोटो पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं I

लेखक लोक इतिहासकार हैं