पिक्चर आना अभी बाकी है
वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली
यदि पिक्चर आना अभी बाकी है, तो ट्रेलर देख समझ लीजिये उत्तराखण्डीयत को बचाने की लड़ाई कितनी मुश्किल होगी। दिल्ली के संसदीय थियेटरों में भले ही बौक्स आफिस हिट हो जाये, पर आगे उत्तराखंड में उत्तराखंडी अस्मिता दिखाती ही पिक्चर हिट होने वाली है।
प्रधान मंत्री जी ने सबका साथ सबका विकास के अपने उद्घोष पर पूरा अमल करते हुये, देश के करोड़ों पिक्चर प्रेमियों का भी ख्याल रखते हुये कहा है कि, फिलहाल जो ट्रेलर देख लिया है उसे गोदी मीडिया पर सबस्क्राइब करके बार बार देखते रहें अभी पिक्चर आना बाकी है। इससे उत्तराखंड में लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया है कि, पिक्चर के लिये कहां कहां लोकेशन शूटिंग हो सकती है। होगी तो जरूर ही क्योंकि आजकल उतराखंड को लोकेशन शूटिंग के लिये बहुत पसंद किया जा रहा है। लोकेशनो की जगह वो तो जरूर हो सकती है जिन्होने ट्रेलर को पंसदीदा बनाया। जैसे सिलक्यारा, जोशीमठ, एक रिसोर्ट, हेलंग, विधान सभा सचिवालय, देहरादून की स्मार्ट सीटी, हरिव्दार, ऋषिकेश का बाजार आदि आदि। तो देखें ट्रेलर में इन्होने जगह किन किन पात्रों के साथ बनाई थी।
स्मार्ट सिटी से शुरूआत करें पर वहां कूड़े के ढेरों से बचके निकलना भी हो सकता है। लोग तस्वीरों में बताते रहें हैं कि वहां कूड़ादान तो हट गये किन्तु कूड़ा बरकरार है। परन्तु देहरादून जाने से लोकेशनों को देखने के साथ साथ वहां उन हस्तियों को देखने का भी मौका मिल सकता है जिनके कारण ही ट्रेलर भारी भरकम हुआ है। ये तो नामी गिरामी लोग हैं। देहरादूनी हस्तियों का देखना ऐसा ही होगा जैसे मसूरी लण्डौर बाजार कोई प्रख्यात रस्किन बॉण्ड याने बौण्ड साहिब को देखने के लिये जाये।
देहरादून में ट्रेलर में बड़ा योगदान देने वाले मंत्रियों मुख्यमंत्रियों या मेयरों का रहना तो होता ही है। उनमें से कई तो वाकेय में महान रहें हैं। जैसे एक हैं जो ऋषिकेश की एक रील में भीड़ में कार से उतर कर आम जन से मार पीट में क्रास एफ आई आर झेलते दिखे थे। इनके नाम ही विधान सभा भर्तीयों पर हिम्मत से शेखी बघारते क्लिपें भी होंगी।
एक समाचार पत्र के अनुसार 2017 से 2022 तक पुरानी विधान सभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल ने तो 27 अगस्त 22 मीडिया पर भड़कते हुये कहा था कि हां मैंने नियुक्तियां की। प्रमोशनों को देकर डिप्टी सेक्रेटरी को विधान सभा का सचिव बनाया। सनद रहे कि अब एक जनहित याचिका के संदर्भ में उतराखंड विधान सभा से पूछा है कि बैकडोर भर्तियों घोटाले के संदर्भ में उस समय के मुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष व अन्य आरोपियों से वेतन वसूली के संदर्भ में क्या किया गया है। जबाब शायद पिक्चर आते आते मिल जाये ।एक बार यही हस्ती शायद17 सितम्बर 2022 को अपने विभागमें 74 अधिकारी कर्मचारियों का तबादला कर अगले दिन कुछ अधिकारियों के साथ विदेश निकल गये थे। इनके पीछे आनन फानन में मुखिया ने सारे तत्काल प्रभावों से सभी तबादले निरस्त कर दिये थे। पर कुर्सी बनी हुई है।
अब देहरादून के लोकेशन में ही ट्रेलर के एक और किरदार है। वैसे बढ़िया मसूरी लोकेशन भी इनके पास है। इन हस्ती को अपने ही दल की नेत्री मेनका गांधी जी से पशु कू्ररता पर बहुत हिकारत मिली थी। यह मामला 2022 के अंत में एक बार फिर उभर कर नैनीताल उच्च न्यायालय में बहस में आ गया था। प्रकरण कांग्रेस की सरकार के विरूध्द बीजेपी 14 मार्च को2016 के प्रदर्शन में 14 वर्षीय पुलिस अधिकारी घायल घोड़े शक्तिमान से जुड़ा था। उसका पैर भी काटा गया था। किन्तु अंततः 20 अप्रैल को उसकी मौत हो गई थी। देश विदेश के मीडिया मे यह मामला चर्चित हुआ था। यदि इस प्रकरण को भी आने वाली पिक्चर में आना है तो उसके लिये पर्याप्त सामग्री तत्कालिन केन्द्रिय मंत्री मेनका गांधी जो वर्तमान में भाजपा सांसद भी हैं उनसे मिल जायेगी। ताजे ताजे प्रकरण में उन्होने यहां तक कहा था कि शक्तिमान एक डयूटी करता अधिकारी था, जिस किसी ने भी ऐसा किया उसको सजा होनी चाहिए। तब श्री गणेश जोशी पर केस भी दर्ज हुआ था। बाद में भाजपा सरकार आने पर खत्म कर दिया गया था। किन्तु फिलहाल नई रीलों की सामग्री आन्दोलनकारी व आर टी आई ऐक्टिस्टों के सौजन्य से ट्रेलर में आई है। आर टी आई व आन्दोलनकारी ऐक्टीवीस्टों की स्क्रिप्ट में है कि, माननीय ने पिछले कुछ सालों में उनके व पारिवारिक जाने गये आय के स्त्रोतों से सैकड़ों गुणा की सम्पति अर्जित की है।
देहरादून के लोकेशन में ही फरवरी उन युवा व युवतियों पर जो पेपर लीक अपराधियों का पर्दाफाश व उनको सजा तथा सख्त भूकानून की मांग कर रहे थे, पर हुये दमन लाठी चार्ज की रीलें हैं जो ट्रेलर में देख ली गई हैं। भर्ती परीक्षाओं में हुये नकल भ्रष्टाचार के विरोध में जब लगभग चार हजार युवा प्रदर्शन कर रहे थे, उनके विरूध्द हत्या के प्रयास सार्वजनिक सम्पति को नुकसान बलवा सरकारी कर्मचारियों काम में रोक, जानलेवे हमले के आरोपों के साथ मुकदमें लगे थे। खास तौर पर ये 13 लोगों पर थे। पुलिस लाठीचार्ज और पत्थरबाजी की रीलें भी हैं। बाद में मूल निवास , सख्त भू कानूनों में सख्ती की मांग करने वाले युवाओं के प्रदर्शन के साक्ष्य भी देहरादून के लोके शन से जुड़े हैं।
देहरादून से बाहर अब इसलिये निकलना पड़ेगा क्योंकि देहरादून की हस्तियों में, रील में जगह पाये पूर्व मुख्यमंत्रियों में से एक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से हरिव्दार में आजकल मिलना आसान होता है। सबसे पहले देहरादून में ही ट्रेलर की तस्वीरों में तब छाये थे, जब एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एक वरिष्ठ शिक्षिका ने इनके तमतमाये बोल न सह कर इन्हे खरी खरी भी सुना दी थी। परन्तु आजकल वे उस हरिव्दार से सांसदी के उम्मीदवार हैं, जिस हरिव्दार में उत्तराखंड की मेधावी और बहादुर बेटी अंकिता के संदिग्ध हत्यारों पूर्व भाजपाई दायित्व धारियों की जड़ें हैं। इसी परिवार के एक बेटे के गढ़वाल जिले के एक रिसोर्ट में काम करती लाड़ली अंकिता की हत्या की साजिश कर अन्यत्र हत्या को अंजाम दिया गया था। रिसोर्ट सम्पती में आग, बुलडोजर का चलना सब उस पिक्चर के ही ट्रेलर माना जाना चाहिये जिसकी पिक्चर आना अभी बाकी है। हालांकि सोशल मीडिया में ये सब रीलें व बहादुर अंकिता के विडियो क्लिपिंग मौजूद हैं। आशा की जानी चाहिये कि आने वाली पिक्चर में यह सब व एक आरोपित वीवीआईपी की तस्वीर भी उस पिक्चर में देखने को मिलेगी। आम जन अभी भी मानता है कि अंकिता भण्डारी हत्या मामले में सितम्बर 2022 में सबूत मिटाने के लिये तोड़ा गया था और 30 अक्टूबर में वहीं रिसोर्ट की जनक फैक्ट्री में आग भी इसीलिये लगाई गई थी। पुलकित आर्य का पिता भाजपा के पूर्व दर्जाधारी व भाई अंकिता हत्याकांड के समय दर्जाधारी था।
परन्तु फिलहाल हरिव्दार में लाइम लाइट लिये पूर्व मुख्यमंत्री जी के ट्रेलरों की ही बात।
औली में उन अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य अपराधी गुप्ता बंधुओं के बेटों को शादी कराने का श्रेय इनको है, जिनके लिये 1 मार्च 2022 के समाचारों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लूक आऊट जारी करवाया था। आगामी पिक्चर के चीफ प्रोड्यूसर तो अब उत्तराखंड का मंत्र फूंक रहें हैं. स्वनाम धन्य तो औली में उत्तराखंड को वेडिंग डिस्टिनेशन बनाने का श्रेय गुप्ता लाड़लों की दो दो शादी कर ले चुके हैं। इन शादियों के संदर्भ में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व्दारा नैनीताल हाई कोर्ट को बताया गया था कि, 18 से 22 जून 2019 तक हुई व्यवसायी गुप्ता बंघुओं के दो बेटों के विवाहोपरान्त औली स्कीइंग आयोजन स्थल से 370 टन कूड़ा कचरा हटवाया गया है। यह भी संज्ञान में लाया गया कि वहा व्यवस्था न होने से इस दौरानं 200 मजदूरों ने खुले में शैच किया गया।
इन हस्ती के ट्रेलरों में देवभूमि के माननीय पूज्यनीय पण्डा पुरोहितों का इनके विरूध्द लामबध्द होना और भूकानूनों को सबसे ज्यादा हल्का करने का श्रेय भी जाता है। परन्तु राजनैतिक हस्तियों का संवेदनहिनता का हरिव्दार संसदीय सीट से जुड़े ट्रेलर की दुखद तस्वीर भी है। वह है आई आई टी के पूर्व प्रोफेसर जी डी अग्रवाल -स्वामी सानन्द की अवहेलना व अन्न जल त्याग के बाद उनका उच्चतम स्तर का प्राणोत्सर्ग। प्रो जीडी अग्रवाल सी पी सी बी के प्रथम सचिव थे। स्वच्छ व अविरल गंगा के लिये कई बार उन्होने अन्न त्याग व सत्याग्रह भी किया था। अंततः11 अक्टूबर 2018 को 112 दिन के अन्न त्याग व अंत में पानी भी छोड़ 86 साल की आयु में उन्होने देह त्याग की थी। प्राण त्याग का संकल्प रखते हुये उन्होने अंतिम दिनों में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखा था। हरिव्दार चुनावों में न अंकिता पर चर्चा हो रही है न प्रो अग्रवाल के प्राणोत्सर्ग पर। परन्तु आश्चर्यजनक तो यह है कि हरिव्दार के पिछले कुंभ की चर्चा करने में भी हिचक हो रही है, क्योंकि हरिव्दार के ट्रेलर में कुंभ्भ की अव्यवस्था व कोविड वैक्सीनेशन घोटाला भी है। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी उसे असफल सा मान लिया 21 अप्रैल को टिप्पणी की कि चार धाम यात्रा को हम दूसरा कुंभ नहीं बनते देखना चाहते हैं।
नवीनतम कारिस्तानी झलक तो पिछली दिवाली की सिलक्यारा सुरंग हादसे की है। भला हो सुप्रीमकोर्ट का जिसके इलौक्ट्रौल बौण्ड सम्बधित जानकारी को सार्वजनिक करने के आदेश से यह भेद खुला कि, सिलक्यारा में जो रोज निगरानी हो रही थी वह दो हफतों से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के साथ सुरंग बनाने वाली कम्पनी से, जो पचास करोड़ से ज्यादा रूपये मिले थे उसको आगे पाने के रास्ते को बंद न होने से बचाना भी था। शायद यदि चुनावी बौण्डों पर रोक न लगती तो उस कम्पनी से और गुमनामी पैसा आने की राह बनी रहती। क्योंकि तब उसे ये डर भी दिखया जाता कि देखो विदेशी व देशी बड़े बड़े विशेशज्ञों ने तुम्हारी कई अक्षम्य कमियां गिनाई हैं। हम तुम को दण्डित करते हैं। ब्लैक लिस्ट करते हैं। इस संदर्भ में समाचारों के अनुसार अपडेट ये है कि, कम्पनी कह रही है कि एक बंद छोर से मलवा साफ करने में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने बीस करोड़ रूपये की डीपीआर बनाई है। ट्र्रेलर में ही सोशल मीडिया और सभी जगह जोशीमठ हेलेंग क्षेत्र में जुलाई 2022 में घास लेकर जंगल से लौटती महिलाओं का पुलिस व्दारा घास छीनना उन्हे गाड़ी में बिठाकर थाने ले जाना व कैद में रखना भी है।
2021 -22 का जोशीमठ धंसाव व वहां के निवासियों के प्रति आज भी संवेदना हीन व्यवहार पिक्चर के ट्रेलर में हैं। टिहरी झील में भीतर होटल का लायसेंस एक्सपायरी व सीधा मलमूत्र बहाना भी ट्रेलर की एक बानगी हैं। सुरंगों से दरकते गांव, सूखती झील, हजारों कटते पेड़, नियमों से बचने केलिये खण्ड खण्ड में औल वेदर रोड बनाना भी ट्रेलर में है।
दलित हत्य , फौजी नियमित भर्ती की जगह 2022, 14 जून को पीएम घोषणा के बाद अग्निवीर से कम होते अदम्य वीरता आर्थिक स्वावलम्बन दिखाने के युवाओं के लम्बे अवसरों में कमी का आक्रोश भी ट्रेलर में है। बन्द हुये हजार से ज्यादा स्कूल जिन्हे होम स्टे बनाने का जो ख्याली पुलाव चल रहा है। दिल्ली की शराब नीति पर तो जांच धर पकड़ है पर उत्तराखंड की दिन दिन बदलती शराब नीतियों के ट्रेलरों पर कुछ नहीं। कभी तीर्थ स्थलों के पास शरा खोलने का रास्ता बनाया, कभी राजमार्गों के पास बेचने का रास्ता बनाया, कभी समय बढ़ाने का रास्ता बनाया, कभी उप शराब आउटलेट का रास्ता बनाया और कभी घर में मीनी बार खेलने की अनुमति देने की सोची। ये सब ट्रेलर ही तो है। पिक्चर फ्रेम में जो दारूण स्थितियां नियमित हैं वो तो हैं ही – यथा अस्पतालों की दुर्दशा , जान जोखिम के प्रसव, जान पर खेल बच्चों का स्कूल जाना, नकली दवाई, स्मैक, शराब का प्रसार, वाहन दुर्घटनायेंआदि आदि।
अंततः पिछले पांच दशकों से सामाजिक सरोकारों से जुड़े एक मूल उत्तराखंडी के बतौर सर्वजन से मेरा निवेदन है कि यदि पिक्चर आना अभी बाकी है, तो समझ लीजिये उत्तराखण्डीयत को बचाने की लड़ाई कितनी मुश्किल होगी। दिल्ली के संसदीय थियेटरों में भले ही बौक्स आफिस में आने वाली पिक्चर हिट हो जाये, पर आगे अगले दो तीन सालों में उत्तराखंड में उत्तराखंडी अस्मिता दिखाती ही पिक्चर को हिट होने का माहौल बनाना है। इसमें अभी चर्चा में आये बॉबी पंवार, अभिजय नेगी ऐडवोकेट, आशुतोष नेगी पर भी बहुत ज्यादा जिम्मेदारी है। उत्तराखंड के महिला संघठन तो इस कार्य में लगे ही हैं। नशा नहीं रोजगार दो का अलख तो लगी ही हुई है।
फोटो सौजन्य – ग्रेट हिमालय जर्नी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार व पर्वतीय चिन्तक हैं.