दक्षिण भारत की यात्रा – 6
विजय भट्ट
साथी अंसर अली ने हमारी रुचि को समझते हुए हमें वायनाड के लगभग सभी खूबसूरत जगहों पर ले जाने का कार्यक्रम पहले से ही बनाया हुआ था। सुबह का नाश्ता घर पर ही तैयार किया जाता था। आज कप्पा मतलब कपिओका बना था। कप्पा एक तरह का कंद है, जो यहाँ हर दुकान पर बिक्री के लिए पाया जाता है। इससे ही साबूदाना तैयार किया जाता है जो उत्तर भारत में व्रत आदि के दौरान खाया जाता है, साबूदाने की नमकीन भी बनती है। पर यहाँ केरल में इस कंद को उबालकर काले चने की सब्ज़ी के साथ खाने का रिवाज है। हमारे लिए भी कप्पा उबल कर नाश्ते के लिए तैयार किया गया था। हमने नाश्ता निपटाया और चल पड़े घूमने के लिए। हमारा काम ही आजकल घूमने का जो था।
बस पकड़ने के लिए मुख्य सड़क पर आना पड़ता था जो घर से सात आठ सौ मीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद पड़ती थी। चलते चलते हमें मालूम पड़ा कि आज हम वैत्तिरी जाने वाले हैं। हम केरल राज्य परिवहन कारपोरेशन की बस में बैठ गए। यहाँ सार्वजनिक परिवहन की बेहतरीन सुविधा उपलब्ध है। पहले हम मानंदवाडी आये और वहाँ से वैत्तरि जाने वाली बस में सवार हो गये। भाषा बोली, रास्ते आदि की कोई समस्या तो थी नहीं क्योंकि अंसर भाई जो हमारे साथ थे। कलपट्टा से हमारी बस पश्चिम दिशा की ओर मुड़ गई। यह सड़क कालीकट जाती है जिसे अब कोझिकोड्ड कहते हैं। इसी रास्ते पर वैत्तिरी पड़ता है। रास्ते में खूबसूरत चाय के बाग़ान, हरी भरी मनमोहक वादियाँ इस रास्ते को बेहद ख़ूबसूरती प्रदान करती हैं। सार्वजनिक बस में जाने का एक ही नुक़सान दिखाई दिया कि चाह कर भी हम इन चाय बाग़ानों के बीच नही जा सकते पर अपनी जेब के हिसाब से सार्वजनिक वाहन ही उपयुक्त हैं।
वैत्तरी पहुँच कर हम लोग बस से उतर गए। लगभग तीन किलोमीटर पैदल चलकर हम पुक्कोट नाम की झील पहुँचे। यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ है। पर्यटक नौकायन का आनंद ले रहे हैं , कुछ पैडलबोट पर चढ़कर मस्त हैं। हमने झील के किनारे किनारे चलने का मन बनाया। यहाँ पर भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। टिकट लेकर हम ठंडी सड़क की तरफ़ निकल गए। यह झील के चारों तरफ़ जाती है और नाना प्रकार की वनस्पतियों से आच्छादित है। हमने फ़ोटोग्राफ़ी करते हुए इस खूबसूरत झील का चक्कर लगाया और फिर मुख्य सड़क पर आ गये।
अब हमें लक्कडि जाना था जो यहाँ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लक्कडि वायनाड का एक प्रवेश द्वार है जो अपनी घुमावदार सड़कों के साथ पर्वत की ऊँची चोटियों के लिए जाना जाता है। लक्कडि समुद्र तल से 700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और कोझिकोड्ड से पचपन किलोमीटर की दूरी पर। यहाँ पर भी घूमने वालों का ताँता लगा हुआ है। लोग कोझिकोड्ड से उपर की ओर आने वाली घुमावदार पहाड़ी सड़क को देखने का आनंद ले रहे हैं। हमने भी इस नज़ारे को तबियत से देखा। कुछ दृश्य कैमरे में क़ैद किए ओर वापसी के लिए चल पड़े।
मौसम ख़राब हो चला। कोहरे की चादर में लक्किडि लिपटी सी जा रही है, बारिश भी शुरू हो गई। हम दौड़कर बस स्टाप पर पहुँचे। वहाँ से बस पकड़ कर कलपट्टा पहुँचे। यहाँ भीड़ भीड़भाड़ दिखाई दे रही है। पुलिस वाले जगह जगह ट्रेफ़िक को डाईवर्ट कर रहे हैं। वैसे सामान्यतः यहाँ सड़कों पर पुलिस नज़र नहीं आती। पता चला कि राहुल गांधी आ रहे हैं। उनकी यहाँ रैली है, वायनाड उनका संसदीय क्षेत्र जो है। कलपट्टा शहर वायनाड का मुख्यालय है। तभी हमें वहाँ से मानंदवाडी के लिए बस मिल गई। शाम हों चली थी। हम बस में सवार होकर अपने आधार शिविर में आ गये।
दिनांक-12 अगस्त 2023