बौद्ध संस्कृति की अस्थि मंजुषा
कुलदीप सिंह बम्पाल
इन दोनों चित्रों में से एक बौद्ध संस्कृति की अस्थि मंजुषा है जिसे थुबुत कहा जाता है आज के ताबूत का छोटा स्वरूप। एक मेरे पुराने दस्तावेज के संकलन में से तिब्बत व्यापार के उधार खाते का पन्ना है, जिसकी भाषा लिपि की जानकारी या ऐसी लिपि में लिखा नहीं मिल रही थी। मंजुषा की लिपि पश्चिमी मंगोल के समीप पुराने रेशम मार्ग पर स्थित किसी शहर की है सम्भवत काशगर की है। दोनों में काफी समानता दिख रही है। इस प्रकार यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी तिब्बत व्यापार की पहुंच उत्तर में यहाँ तक रही है।
लेख़क बौद्ध अन्वेषक हैं