कोटद्वार में खुले विकास के द्वार
ब्यूरो
जब बीती 15 फरवरी को हुए विस निर्वाचन के मतदान का परिणाम आया तो आप सभी के असीम प्यार व दुलार ने मुझे आजीवन आपका ऋणी बना दिया।
मैं आपके इस स्नेह व आशीर्वाद से जन्म जन्मान्तर तक उऋण नहीं हो सकता। ततपश्चात जब मुझे माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जैसे संवेदनशील व अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी तो मैंने उसी रोज से जिम कॉर्बेट व राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य के मध्य में बसे गौरवशाली कोटद्वार के लिए इस विभाग से सम्बंधित संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी। मुझे लगा क्यों न अभी तक कोटद्वार के लिए अभिशाप बने जिम कॉर्बेट व राजाजी नेशनल पार्क को इस क्षेत्र के लिए वरदान बनाया जाए और मेरे इस संकल्प में आप सभी लोगों की शुभकामनाएं व माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी की इच्छाशक्ति के बलबूते आज हम कोटद्वार से जिम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का द्वार खोलने के ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने जा रहे हैं। इस द्वार के खुलने से कोटद्वार की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तो पहुंचेगी ही, साथ ही रोजगार के असीम अवसर पैदा होंगे। जंगल सफारी में लगे वाहन, होटल, रिसॉर्ट्स, स्थानीय टैक्सी वाहन, गाइड जैसे कारोबार से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सैकड़ों रोजगार पैदा होंगे। पूर्व से संचालित हो रहे होटल, रिजॉर्ट्स, ढाबे आदि के व्यापार में भी इज़ाफ़ा होगा। इसके अतिरिक्त हमारे द्वारा इको टूरिज़्म कारपोरेशन का गठन कर कोटद्वार सेक्टर का गठन कर दिया गया है, जिसके तहत कण्वाश्रम से ताड़केश्वर तक तमाम पर्यटन की संभावनाओं को तलाश कर नए पड़ाव विकसित किये जायेंगे जो क्षेत्र व क्षेत्रवासियों की आर्थिकी को मजबूत करने में सहायक होगा। मेरा प्रयास है कि सिद्धबली बाबा के आशीर्वाद एवं आप सभी लोगों के असीम प्यार, स्नेह, सद्भावना व सहयोग से हम भारतनामे सम्राट भरत की जन्मस्थली कोटद्वार को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएं।
ऋषि कण्व की तपस्थली के सम्मानित निवासियों को मेरा स्नेहिल नमन। साथियों, सिर्फ सीमेंट कंक्रीट के जंगल खड़े कर देने भर से कोई बसागत नगर नहीं बन जाती, कोई विशिष्ट विशेषता व पहचान ही एक गौरवशाली नगर की पहचान होती है। किंतु अविभाजित उत्तर प्रदेश में दशकों तक सिरमौर रहे कोटद्वार नगर को पृथक राज्य गठन के बाद पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया, सीमेंट कंक्रीट के जंगल तो खूब उगे, किन्तु नगर की पहचान एक दोयम दर्जे के शहर तक जा सिमटी। सामाजिक, सांस्कृतिक व बौद्धिक रूप से जागरूक लोग निराशा के चलते या तो पलायन को मजबूर होने लगे अथवा कशमकश में जीने को मजबूर हो गए। बीते विस् चुनाव में जब मैं आपके व सिद्धबली बाबा के आशीर्वाद की प्रत्याशा में कोटद्वार आया तो आपने अपने स्नेह और प्यार की बारिश से मुझे जन्म जन्मांतर के लिए अपना ऋणी बना दिया, जिस ऋण से मैं कभी उऋण नहीं हो सकता। किन्तु मैने सिद्धबली बाबा के दरबार में संकल्प किया कि मैं कोटद्वार के लिए अपने सर्वोच्च प्रयास करूंगा। इसी कड़ी में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के गेट, कोटद्वार इको टूरिज़्म सर्किट, कांडी रोड, नगर का रुतबा बढ़ाते हुए नगर निगम का दर्जा, नगर की सड़कों व चौराहों के चौड़ीकरण व सुधारीकरण का धरातलीय कार्य शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने भी कोटद्वार को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल रखने के संकेत सत्ता संभालने के चंद मिनटों बाद ही प्रदर्शित कर दिए थे, उन्ही के कुशल निर्देशन में यह ऐतिहासिक कार्य शुरू हुए हैं। साथियों, यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा, अभी कोटद्वार के विकास व पहचान के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है। सिद्धबली बाबा के आशीर्वाद एवम आपके स्नेह व समर्थन से हम मिलकर सभी आकांक्षाओं को धरातल पर उतारने में सफल होंगे। हर विराट संकल्प को पूरा करने में आरम्भिक बाधाएं स्वाभाविक रूप से आती हैं, किन्तु दृढ़ निश्चय से भगीरथ प्रयास हों, तो संकल्प अवश्य पूरे होते हैं। आपका स्नेह व सहयोग मिलता रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में ही कोटद्वार की छवि पूरे भारत में इस तरह निखरेगी, कि हर कोई कोटद्वारवासी दुनियां भर में सीना चौड़ा कर कहे कि “कोटद्वार का रहने वाला हूँ”।
दो तिहाई क्षेत्रफल पौड़ी जनपद में होने के बावज़ूद कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से इस जनपद को सिर्फ और सिर्फ दुश्वारियां व वन्दिशें ही मिलीं। बफर जोन में स्थित तैडिया पाण्ड जैसे गांवों के बाशिंदों को दर बदर होना पड़ा, इसके विपरीत रामनगर को अंतरराष्ट्रीय पहचान तो मिली ही हज़ारों लोगों के लिए यह रिज़र्व आर्थिकी का जरिया भी बन गया। अन्यथा न लें, इसे क्षेत्रवाद और सियासत के चश्मे को उतार देखें तो इस रिज़र्व का फायदा पौड़ी गढ़वाल को मिलना ही चाहिए था। सियासत से हटकर मौजूदा हुकूमत के इस फैसले का जोरदार स्वागत किया जाना चाहिए और यह भी तय है कि इस नए प्रवेश द्वार के खुलने के बाद पहले की अपेक्षा अधिक संख्या में सैलानी कॉर्बेट का दीदार कर सकेंगे और रामनगर पर सैलानियों का अधिक दबाव होने के कारण मायूस होने वाले सैलानियों को भी एक अतिरिक्त विकल्प भी मिलेगा। दिल्ली से कोटद्वार की दूरी मात्र 200 किमी होने के कारण सैलानियों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा, जिससे वन महकमें व सरकार के खजाने को भी फायदा मिलेगा। और यदि यह पहल सफलतापूर्वक अपने उद्देश्य में सफल हुई तो कोटद्वार और पौड़ी जनपद की आर्थिकी को अकल्पनीय उन्नयन मिलना तय है। नए तरह के दर्जनों कारोबार शुरू होंगे जो हज़ारों प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार सृजित करने में सहायक होंगे। मसूरी, देहरादून, हरिद्वार और चारधाम आने वाले पर्यटक भी आसानी से कॉर्बेट का दीदार करने को वक़्त निकाल सकेंगे जो कोटद्वार ही नहीं कण्वाश्रम से पौड़ी – ख़िरसू तक पर्यटन के नए पड़ावों के विकास में अहम भूमिका निभाएगा। हम सभी को सियासत के चश्मे को उतार इस पहल का हृदय की गहराईओं से अभिनन्दन करना चाहिए। बाबा सिद्धबली से प्रार्थना है कि यह मुहिम खूब फले फूले
प्रेस विज्ञप्ति / अजय रावत के इनपुट