मैं जिन्दा हूँ – ऋषिपर्णा नदी
संदीप गुसाईं
जो लोग सालों से देहरादून में रह रहे है उन्हें एक बार जाकर रिस्पना नदी को जरूर देखना चाहिए।
रविवार 26 नवम्बर को मैंने राजपुर से पैदल सफर शुरू किया। राज्य के मुखिया भले ही रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने का दंभ भर रहे हो लेकिन ये दावा उतना ही खोखला है जिनती खुद रिस्पना नदी देहरादून में हो चुकी है। रिस्पना नदी भाजपा और कांग्रेस के ऐसे नेताओं के चंगुल में फँसी रही जिन्होंने अपने वोट को बढ़ाने के लिए इसके सीने को खोखला कर दिया वरना ये नदी देहरादून में मृतप्राय नहीं होती। राजपुर से जैसे जैसे हम आगे बढे तो रिस्पना नदी के सौंदर्य को निहारते रहे। कल कल करती नदी की धारा मानो कह रहा थी कि मुझे गंदगी और अतिक्रमण की जकड़न से कब आजादी मिलेगी। इसी बीच चिड़ियों की सुरीली आवाज और उनका मनमोहन दृश्य मन को रोमांचित कर रहा था। नदी के सहारे हम करीब दो किमी आगे बढे होंगे कि इस नदी से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था भी दिखाई दी जो ब्रिटिश काल से चल रही है। इन्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हाइड्रोलॉजी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट में इसे बारामासी नदी कहा है।
अचानक मन में ख्याल आया कि नदी केवल एक पानी की धारा नहीं बल्कि पूरा संसार होती है जिसमे पेड़ पौधे, छोटे छोटे वन्यजीव और पंछियों का जीवन बसा होता है। सोहन परमार को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये रिस्पना नदी है। अभिजय नेगी, गगन और मैड संस्था के कई छोटे छोटे सिपाही इस नदी को जिन्दा करने के लिए पिछले 6 सालों से लड़ रहे है। अभिजय बताते है कि पिछली सरकार ने भी एक पहल रिस्पना को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास शुरू किया था लेकिन केवल झाड़ू लगाने भर से ये नहीं होगा जब तक रिस्पना नदी को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया जाता तब तक तो बिल्कुल नहीं। हाल ही में राज्य सरकार ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए इसे इको टास्क फ़ोर्स को देने का फैसला किया लेकिन केवल भाषणों में.
सीएम साहब सबसे पहले तो ये पता कीजिये जिस ऋषिपर्णा नदी को आप हर दिन जीवित करने का दावा कर रहे है उसकी हालात क्या है मतलब ये कितनी मैली है उसकी वैज्ञानिक रिपोर्ट क्या है। ये आप नहीं बता सकते क्योकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रिस्पना नदी की कोई जाँच रिपोर्ट नहीं है। आप तो केवल सफाई अभियान चला सकते है खैर आप कोशिश कर रहे है तो आपके प्रयास को हमारा समर्थन आप अगर रिस्पना को दून में जिन्दा कर पाये तो ये आपके लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। लेकिन केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश या भूल मत करियेगा।
फोटो – सोहन परमार