तोताघाटी के शिल्पी – दीवान चक्रधर जुयाल
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डॉ. योगेश धस्माना
ब्रिटिश उत्तराखंड में प्रथम आईपीएस चक्रधर जुयाल ने पहले 1928 में नरेंद्रनगर से ऋषिकेश और मुनीकी रेती कीर्तिनगर, टिहरी रिसायसत में 1935 में सड़क बनाकर एक रिकार्ड स्थापित किया। ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा राजा नरेंद्र शाह के अनुरोध पर इस सड़क को निर्माण की जिम्मेदारी चक्र धर जुयाल को सौंपी थी। आज की तोता घाटी निर्माण में जब पहाड़ को काटने में कठिनाई महसूस हुई, तब दीवान चक्रधर जुयाल ने स्थानीय मजदूरों की सहायता से प्रताप नगर के प्रसिद्ध ठेकेदार तोता सिंह को सड़क निर्माण के सहयोग के लिए बुलाया। चक्रधर जुयाल को इस बात का एहसास था कि प्रतापनगर के ठेकेदार पूरे उत्तराखंड में पहाड़ काटने में दक्षता रखते हैं, इसलिए उन्होंने इस काम में सर्वाधिक मजदूर और तकनीकी सहायक के रूप में प्रतापनगर के मजदूरों की सेवाएं ली।
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तीन साल के कठोर प्ररिश्रम के बाद मार्च 1936 में चक्रधर ने टिहरी रियासत के भीतर कीर्तिनगर तक सड़क पहुंचा कर जनता का दिल भी जीता। स्वयं राजा नरेंद्र शाह ने चक्रधर के परिश्रम की तारीफ की। पाठकों को यह भी जानकारी दे दू कि ब्रिटिश गढ़वाल में इस समय तक उपलब्ध नही हो सकी थी। तब मुनीकी रेती से कीर्तिनगर तक लगभग 85 किलोमीटर के मोटर मार्ग के निर्माण में 90,6,133 का खर्चा आया था। औसतम एक किलोमीटर पर 14,615 का खर्चा आया था। तब उत्तर प्रदेश के इतिहास में भी यह खर्च सबसे न्युतम था। इस मोटर मार्ग पर पहली बार गाड़ी चलाने का श्रेय सते सिंह ड्राइवर को मिला था। सड़क से देवप्रयाग पहुंचने पर राज परिवार की ओर से चक्र धर के परिजनों ने भी पूजा – अर्चना की थी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मूंगा नामक बादी ने गीत की रचना कर चक्रधर के पराक्रम और साहस की तारीफ करते हुए, टिहरी की जनता की ओर से उनका आभार व्यक्त किया। चक्रधर जुयाल का जन्म 1 जुलाई 1877 को पौड़ी में और उनकी मृत्यु 24 दिसंबर 1948 को ढकरानी, देहरादून में हुई थी। चक्रधर जुयाल ने उत्तर प्रदेश के जालौन में पुलिस सुपरिटेंडेंट के पद पर रहते हुए चंबल घाटी के डाकुओं का भी सफाया किया था। 1935 में ब्रिटिश व्यापारी आर्थर के सहयोग से उन्होंने देहरादून में दून स्कूल की स्थापना में विशेष सहयोग दिया था। उनका फोटो पाठकों के लिए साझा कर रहा हूं।
लेखक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं