श्रीनगर के शीर्ष नक्षत्रशाला
मुकेश नौटियाल
मुग़ल जब समूचे भारत को मायावी राजमहलों से पाट रहे थे तब शाहजहां का बड़ा बेटा दारा नक्षत्रशालाएं और पाठशालाएं तामीर करवा रहा था। श्रीनगर के शीर्ष पर उसकी बनाई यह नक्षत्रशाला आज परीमहल के नाम से जानी जाती है। दारा की बौद्धिक और आध्यात्मिक प्रवृति के अनुरूप असल नाम पीरमहल होना ज़्यादा मुमकिन लगता है जो बाद में घिसकर परीमहल हो गया होगा। यह नक्षत्रशाला दारा शिकोह के मिज़ाज के मुताबिक़ बहुत सरल वास्तुशिल्प का एक आकर्षक निर्माण है।
दारा ने गीता और उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया। वह उद्भट विद्वान था लेकिन जैसा कि होता है, सत्ता विद्वानों को देर तक बर्दाश्त नहीं करती। दारा का उसी के छोटे भाई औरंगज़ेब ने अमानवीय ढंग कत्ल किया और बीमार हाथी में उसकी रक्तिम देह लादकर दिल्ली की सड़कों पर घुमाया। औरंगज़ेब की जगह अगर दारा ही लंबे समय तक मुगल शासक बना रहता तो इतिहास आज कुछ दूसरी शक्ल में हमारे सामने होता। कश्मीर तो आप आएंगे ही, श्रीनगर की इस चोटी तक ज़रूर आइए ताकि जान सकें कि राजा केवल महल नहीं, नक्षत्रशालाएं भी बनाते हैं।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं