November 22, 2024



शिक्षक की एक पहल

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कल्याण सिंह रावत 


मेरे गाँव के प्राथमिक तथा जूनियर स्कूल में इस समय अच्छे व शिक्षा के प्रति समर्पित अध्यापक कार्यरत हैं।


लोगों को अपने बच्चे पुब्लिक स्कूल में पढ़ाने का भूत सवार है। मैंने इन दोनों विद्यालयों के बच्चों की प्रतिभा पर्यावरण संबर्धन, पर्यटन तथा विकास मेला नन्दासैण मै देखी। मैं अभिभूत हुआ कि इतनी मेहनत करने के बाबजूद लोग इन राजकीय स्कूलों से बच्चे हटा कर प्राइवेट स्कूलों में डाल रहे हैं। मैंने दोनों स्कूलों के अध्यापकों, बच्चों तथा सारे गाँव की महिलाओं तथा प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों की संयुक्त मीटिंग प्राथमिक विद्यालय में बुलाई तथा उनसे बातचीत की। लोगों को इन समर्पित तथा योग्य अध्यापको की जानकारी दी। बच्चों की स्वच्छता, घर में पढाई पर ध्यान देंने के लिए लोगों को बताया। मिलजुलकर शिक्षा के लिए कार्य करने की और ध्यान देने की बात कही। कुछ कहानियां सुनाई। अब लोग संकल्प ले चुके हैं कि हमें इस ओर पूरा ध्यान देना है। लोगो ने मुझे दोनों स्कूलों का संरक्षक बना दिया। मैंने गाँव में बाल चौपाल खोलने का मन बनाया है। सायं 6 से 7 बजे सारे बच्चे पंचायती भवन में जमा होंगे। वहां पर बिजली तथा बैठने की ब्यवस्था बना दी गयी है। एक गाँव की पढ़ी लिखी लड़की को 1 हजार रूपये पर कार्य दिया है कि वह रोज कमरा खोल कर लाइट जला देगी और बच्चों के साथ बैठ कर उन्हें होम वर्क कराएगी तथा कुछ ज्ञान बर्धक कहानियां भी सुनायेगी। इस धन राशी को मैं अपने जेब से दूंगा। यही नहीं मैंने यह भी कहा है की प्रति वर्ष सत्र के प्रारंभ मे मैं दोनों स्कूलों केबच्चों को सौ रुपया प्रति बच्चे के हिसाब से कॉपी किताब का ब्यय भी दूंगा। मित्रों जब तक हम ब्यक्तिगत रूप से गाँव से नहीं जुडेंगे गाँव बिकास की राह पर नहीं बढ़ सकता। हमें जन्म भूमि का कर्ज चुकाना ही होगा।


लेख़क मैती आन्दोलन के संस्थापक व शिक्षक हैं