चम्पावत का बालेश्वर मंदिर
डॉ. राकेश गैरोला
चम्पावत में स्थित बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर है। बालेश्वर मंदिर पत्थर की नक्काशी का एक अद्भुत प्रतीक है। मुख्य बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है (जिन्हें बालेश्वर भी कहा जाता था)। बालेश्वर के परिसर में दो अन्य मंदिर भी हैं जिसमें एक “रत्नेश्वर” को समर्पित है और दूसरा मंदिर “चम्पावती दुर्गा” को समर्पित है। इस मंदिर समूह में आधा दर्जन से ज्यादा शिवलिंग स्थापित हैं। मुख्य शिवलिंग स्फटिक का है जो अपनी चमत्कारिक शक्ति के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। स्थापत्य कला के बेजोड़ रूप से बने इस मंदिर के समूह की दीवारों पर अगल-अलग मानवों की मुद्राएं , देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई गई हैं। बालेश्वर मंदिर की स्थापना चंद शासकों ने की थी।
मंदिर पर मौजूद शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 1272 में बना है। इस मंदिर समूह का निर्माण 10 वीं या 12 वीं शताब्दी के मध्य काल में हुआ था। जिस कारीगर ने इस मंदिर में अपनी कला को जिंदा किया था, उसका नाम जगन्नाथ मिस्त्री था। कहा जाता है कि जब जगन्नाथ मिस्त्री ने मंदिर बना दिया था, तब चंद शासक जगन्नाथ मिस्त्री से काफी प्रसन्न हुए। जगन्नाथ मिस्त्री ने बालेश्वर मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर दूर “अद्वैत आश्रम“ से मायावती पैदल मार्ग में एक “हथिया नौला“ का निर्माण किया। एक हथिया नौला एक हाथ से बनी “बावली” की कहानी यह है कि जगन्नाथ मिस्त्री ने अपने एक हाथ के आधार और अपने बेटी की सहायता से एक रात में बनाया था। मंदिर के हर हिस्से में एक अनेक प्रकार की कलाकृति देखने को मिलती है।
चंपावत में बालेश्वर मंदिर को “राष्ट्रीय विरासत स्मारक” घोषित किया गया है और 1952 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है। बालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।