December 3, 2024



जौनसार बावर के पारंपरिक ऊनी वस्त्र

Spread the love

भारत चौहान


जौनसार बावर में बर्फ में पहने जाने वाले पारंपरिक ऊनी वस्त्रl

दिनों दिन जैसे-जैसे सर्दी का मौसम बढ़ रहा है वैसे ही हम गर्म से गर्म कपड़ों की तलाश में रहते हैं l परंतु जब अत्यधिक सर्दी हो, बाहर बर्फबारी हो और ऐसे मौसम में पशुओं के लिए चारा लाना हो या घर से बाहर निकलना हो तब हमें फैंसी ड्रेस नहीं बल्कि पारंपरिक वही ऊनी वस्त्र पहनने पड़ते हैं जिससे बर्फ में भी आसानी से काम कर सकते हैं l


यदि मैं जौनसार बावर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों की बात करूं तो यहां पर दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां पर सर्दी के मौसम में खूब बर्फ पड़ती है और ऐसे समय में पशुओं के लिए चारा लाना व घर के तमाम काम करने के लिए भेड़ की ऊन और बकरी के बाल से बने हुए वस्त्र पहनकर गर्माहट के साथ काम कर सकते हैं l जो जूते की जगह पैरों में पहना जाता है जो विशेषकर बकरी के बालों का बना रहता है बर्फ में तथा पेड़ पर चढ़ने से फैसला नहीं होती उसे स्थानीय बोली भाषा में ‘खुर्से’ कहते हैं तथा उसके ऊपर पाजामे के रूप में जो पहना जाता है उसे जंघेल कहते हैं यह दो प्रकार की होती है एक हल्की सी ढीली और एक बिल्कुल चूड़ीदार होती हैl बर्फ के काल में चूड़ीदार जघेल ही काम आती है, उसके ऊपर पहनने वाला कोट जिसे स्थानीय बोली भाषा में चोडी या चौड़ा कहते हैं इसे पहनने के बाद व्यक्ति शून्य डिग्री तापमान में भी बहुत लंबे समय तक काम कर सकते हैंl


शरद ऋतु के दो-तीन महीने लगातार ठंड क्षेत्रों में रहना यह आसान काम नहीं हैl इसलिए माघ के महीने में विशेष भोज का आयोजन होता है ताकि शरीर में गर्माहट है l पुराने समय का खान पान, रहन सहन, पहनावा – वस्त्र आभूषण भले ही देखने में अत्यधिक आकर्षक नहीं थे परंतु शरीर के लिए लाभदायक होते थे और मनुष्य स्वस्थ व सुखी रहते थे l

Photo Courtesy – Bharat Chauhan

लेखक वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं