स्वागत है बसन्त
बी. मोहन नेगी
हर्ष और उत्सव का प्रतीक बसन्त जीवन में प्रकट होता है।
पहाड़ में इस समय पक्षियों का मधुर गुंजन होने लगता है, मानो वे भी बसन्त का इन्तजार करते हैं। इसी समय वनों, पाखों में फ्यूंली भी खिल उठती है। पीले रंग के ये छोटे-छोटे फूल किसे अच्छे नहीं लगते। फ्यूंली के फूलों पर कई लोक कथायें प्रचलित हैं। पहाड़ के लोग फ्यूंली के फूलों का इन्तजार करते हैं, फ्यूंली खिलती हैं तो सच मानिये हमें नयी ऊर्जा प्राप्त होती है, मेरा मानना है बसन्त अपने आगमन का रैबार फ्यूंली के माध्यम से देता है।
ठीक है बसन्त तुम्हारा स्वागत है।
स्वागत है बसन्त ! तुम महान हो।
हम तुम्हें असीम प्यार करते हैं।।