चमोली जिले के एप्पल मैन
लक्ष्मण सिंह नेगी
उरगम घाटी जोशीमठ, चमोली। उत्तराखंड राज्य के जनपद चमोली के सीमांत क्षेत्र जोशीमठ चमोली के एक ऐसे शख्सियत से आज हम रूबरू कर रहे हैं जिन्होंने देश सेवा के साथ मिट्टी में सोना उगाने का काम किया है जिनका नाम इंदर सिंह बिष्ट उनकी मुंह जुवानी से कुछ बातचीत के अंश.
इंदर सिंह नेगी का जन्म 1948 में सीमांत क्षेत्र नीति घाटी के जेलम में हुआ, उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव में हुई और उन्होंने जूनियर हाई स्कूल छिनका गांव चमोली से परीक्षा पास की. अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय 1969 मैं वह देश के सैनिक बन गए सीआरपीएफ में भर्ती हो गए और उन्होंने 1972 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने गांव लौट आए। वे बताते हैं कि उसमें सेना में पेंशन की प्रक्रिया नहीं थी और उन्होंने पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया। घर आने के बाद उन्होंने सन 1992 में हिमाचल का एक शैक्षणिक भ्रमण में भाग लेने का अवसर मिला और इस कार्यक्रम मैं दीपक चंद्र सती ने उन्हें सम्मिलित किया था.
उन्होंने बताया कि उन्होंने शुरुआत में अपने सेब के बगीचे के लिए कठिन परिश्रम किया और 10 से 12 साल सेब के बगीचे तैयार करने में लग गये, उन्होंने बताया कि 120 नाली भूमि में वर्तमान में सेब के बगीचे हैं. उन्होंने अपने गांव जेलम गांव में सेब का बगीचा लगाया है. इस बगीचे का शिलान्यास तत्कालीन जिलाधिकारी पी सी शर्मा के द्वारा किया गया, उन्होंने बताया कि मैंने जितने भी तकनीकी ज्ञान सीखा वह शैक्षणिक भ्रमण एवं वैज्ञानिकों से वार्ता करने के बाद यह सब सीखा है.
उनके बगीचे में सेव के दर्जनों प्रजातियां के सेव तैयार होते हैं जिसमे डेलीशियस, रॉयल डेलीशियस, ग्रीन स्वीट, एक्स लोड ग्रीन नाशपाती, अखरोट, खुमानी सहित अन्य कई जड़ी बूटियां जिसमें काला जीरा, फरण, डोलूं, आदि उनके बगीचे में है. हर वर्ष इनके द्वारा ₹2 लाख रुपए का सेव का कारोबार किया जाता है. वह बताते हैं कि जिसमें डेढ़ लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हो जाता है. ₹50000 का अखरोट का विक्रय करते हैं, इसके अलावा किसानों को प्रशिक्षण देते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें उत्तराखंड सरकार के द्वारा उद्यान पंडित का पुरस्कार, वानीकी पुरस्कार ,चिपको नेत्री गौरा देवी पर्यावरण पुरस्कार, प्रगतिशील किसान पुरस्कार, दर्जनों सम्मान एवं पुरस्कार उन्होंने मिले हैं।