दूणागिरी-जहां हनुमान की पूजा करना वर्जित
लक्ष्मण सिंह नेगी
उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में जोशीमठ का एक ऐसा गांव है, जहां त्रेता युग के बाद आज भी हनुमान जी की पूजा वर्जित मानी जाती है. दूणागिरी गांव के लोगों का मानना है कि, त्रेता युग में राम रावण युद्ध के समय लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी, सुषेन वैद्य के कहने पर लंका से संजीवनी बूटी लेने के लिए द्रोणागिरीपर्वत पर आये थे. वेध के अनुसार संजीवनी बूटी रात को चमकती है. हनुमान जी संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए और उन्होंने पूरे ही द्रोणागिरी पर्वत को उखाड़ दिया. वहां के पर्वत देवता का दांया हाथ तोड़ दिया और वे पर्वत को लेकर के चल पड़े.
बीच में तोलमा गांव के पास वहां के हिवांल देवता ने उन्हें रोक दिया और कहा कि इतना विशाल पर्वत कहां ले जा रहे यहां से, तोल कर संजीवनी बूटी उन्हें दी और कहा कि वाकी हिस्से को यहीं छोड़ दो. हनुमान जी ने वही किया और यहां के इष्ट देवता से वचन दिया कि, राम रावण युद्ध के बाद मैं यहां आकर निवास करूंगा. तोलता गांव के ऊपर शीर्ष पर आज भी हनुमान पर्वत विराजमान है, जिसमें यहां के लोगों का मानना है कि हनुमान जी आज भी यहां निवास करते हैं और वह इस गांव की रक्षा करते हैं।
द्रोणागिरी गांव में आज भी हनुमान की पूजा वर्जित मानी गई है, यहां पर लगभग 118 परिवार निवास करते हैं, किंतु सड़क मार्ग से दूर होने के कारण, यहां हर वर्ष 10 से 15 परिवार ही जा पहुंचते हैं. यहां पहुंचने के लिए 8 से 10 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जबकि और सीमांत क्षेत्र का गांव है सरकार सीमांत क्षेत्र विकास निधि की बड़ी धनराशि खर्च करती है, किंतु यहां सड़क नहीं होने के कारण आधुनिक युग के लोग यहां रहना पसंद नहीं करते. यहां दूरसंचार स्वास्थ्य शिक्षा सेवा का कोई भी संस्था नहीं है. यहां एक जगह पर खड़े होकर गांव में जिओ का नेटवर्क चलता है, वहीं से लोग अपना काम चला लेते हैं. यहां गांव में इष्ट देव भूमियाल पर्वत देवता सहित अन्य देवता है. उसी की पूजा यहां लोग करते हैं. हनुमान का नाम लेना भी इस गांव में वर्जित है. गांव में लाल वस्त्र भी बहुत कम उपयोग करते हैं. देवता को चढ़ाए जाने वाले वस्त्र भी पीले रंग के होते हैं। समुद्र तल से द्रोणागिरी ऊंचाई लगभग 3622 मीटर पर स्थित है।
लेखक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं.