पर्यावरण एवं आर्थिकी का समन्वयक है ग्रीन मन्दाकिनी
महेंद्र सिंह बर्त्वाल
दिनांक 16 सितंबर 2022 को तिलबाड़ा रुद्रप्रयाग में आयोजित मिनिस्ट्रियल फेडरेशन जनपद शाखा रुद्रप्रयाग के अधिवेशन में प्रतिभाग के उपरांत अपनी मित्र मंडली के साथ तिलबाड़ा कस्बे के प्रारंभ में ही पवित्र मंदाकिनी के तट पर अवस्थित ग्रीन मन्दाकिनी में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ग्रीन मंदाकिनी न तो कोई संस्था है और न कोई व्यापारिक प्रतिष्ठान। बल्कि ग्रीन मंदाकिनी पर्यावरण एवं आर्थिकी के समन्वय का कार्यान्वित मॉडल है।
यह मॉडल विकसित किया है महान विचारक, सृजनशील, पर्यावरण प्रेमी एवं समाज चिन्तक आदरणीय श्रीमान महावीर सिंह जगवाण जी ने। ग्रीन मन्दाकिनी मॉडल में श्री जगवाण जी की 25 वर्षों की सतत साधना, लगन, पर्यावरण के साथ आर्थिकी को कैसे जोड़ा जाय ये विचार परिलक्षित होते हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के बहु उपयोगी पादपों का नर्सरी के रूप में वृहद संग्रह है जो कि आम आदमी की आर्थिकी को मजबूत करने में सहयोग तो करेगें ही साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा। इसी उद्देश्य के निमित्त श्री जगवाण जी की सोच है कि हम बहुउपयोगी पादपों के लिये बाहरी राज्यों पर निर्भर रहते हैं, उपयोगिता और सुलभता की उचित जानकारी के अभाव में हम लोग कुछ विशेष नहीँ कर पाते हैं। ग्रीन मन्दाकिनी मॉडल का उद्देश्य है कि हम बहु उपयोगी पादपों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें कैसे उनका रोपण करना है उनके क्या लाभ हैं और आर्थिकी से कैसे उनको जोड़ें।
इस अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री शंकर सिंह मेवाड़ जी, श्री महेन्द्र प्रासाद थपलियाल जी, श्री दिनेश वैष्णव जी, श्री लीलानन्द पुरी जी, श्री योगेंद्र चौहान जी मौजूद थे।
मोहित डिमरी सामाजिक कार्यकर्त्ता/पत्रकार – जगवाण जी लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही पादपों के महत्व को लेकर आम लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उनके प्रेरक कार्यों से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। सरकार उनकी इस सोच को धरातल पर उतारने का प्रयास करे तो आर्थिक विकास का एक मॉडल तैयार हो सकता है। उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य में प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और आर्थिकी से जुड़े कामों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है।
कृष्णानंद नौटियाल – परम स्नेही महावीर सिंह जंगवाण जी की बात तो यह निश्चित है कि यह व्यक्ति बोलता कम और करता ज्यादा है। करके दिखाना और परिणाम को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करना जंगवाण जी की हौबी में सम्मिलित रहा है। निश्चित रूप से जहां जंगवाण जी का प्रयास प्रशंसनीय है वहीं आपका शानदार लेख भी मार्गदर्शन का कार्य कर रहा है।