गोरा – रविंद्रनाथ टैगोर
दिव्या झिंकवान नेगी
“गोरा” को जितनी बार पढ़ती हूँ उतनी ही बार यकीन होता है कि हम किसी भी जटिल मोड़ से वापस सहज जीवन में शामिल हो सकते हैं.
ये कठिन मोड़ जो हमको एकतरफा सोच के अधिकतम आयाम पर खड़ा कर देते हैं, बस जरूरत विनय जैसे दोस्त की, सुचरिता जैसी बुद्धिमान साथिन की और सबसे बढ़कर आनंदमयी सी माँ होगी। फर्ज कीजिए कि आप एक हिंदू परिवार में हैं, आप अपने धार्मिक व सांस्कृतिक मूल्यों व सरोकारों के लिए इतने प्रतिबद्ध हैं कि स्वभाव से उदार अपने अभिन्न दोस्त को लानतें-मलामतें करते हैं, जो आर्यसमाजी परिवार की तेजस्विनी, विद्रोहिणी पुत्री के साथ प्रेम में पड़ जाता है। आप उसे लौटा लाने की पूरी कोशिशें करते हैं और इसी बीच आप खुद भी आर्यसमाजी परिवार की गोद ली हुई हिंदू पुत्री के साथ प्रेम में पड़ जाते हैं अब आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है विनय को लौटा लाना है और साथ ही सुचरिता (हिंदू लड़की) का भी उद्धार करना है।
वो ‘आप’ ‘गोरा’ है।
इस पूरे प्रकरण में आनंदमयी तटस्थ भाव से परे सब घटनाओं को देखती हैं और गोरा को कट्टर न होने के लिए समझाती भी हैं लेकिन अब जिद्दी गोरा अपनी माँ का ही छुआ खाने से गुरेज करने लगता है। माँ आंसू बहाती है पर चुप है। अपने हिंदू धर्म के लिए लड़ते लड़ते, पदयात्राएं करते हुए, दोस्त से विलग गोरा को जब पता चलता है कि वह पिता की मृत्यु के बाद उनके संस्कार नहीं कर सकेगा, तो वह हैरान होता है और द्वंद्व में पड़ जाता है और तब उसके सामने ये भेद खुलता है कि वो “वह” है ही नहीं जिसके लिए लडता रहा माँ से, दोस्त से, अपने आप से। वह तो एक आयरिश था एक ईसाई, जिसको उसकी अपनी माँ कठिन समय में आनंदमयी की गोद में डाल जो उसी एक दिन से धर्म से ऊपर उठ गयी थी ।
अब आज गोरा संतुष्ट है, वो अपने आप को माँ की गोद में बिछ जाने देता है, वही विद्रोहिणी माँ, वो विनय को घर ले आता है, अपने दोस्त को, और अपने प्रेम सुचरिता को पा लेता है। अब कोई बंधन नहीं, भारत माता की गोद उसके लिए और भी विशाल हो चली। अब समझा जाए “गोरा” होना, “गोरा” होना भी कोई आसान बात नहीं।
खुद को अचानक जंजीरों से मुक्त करना भी तो आसान नहीं, जन्म के बाद परिवार से अर्जित विश्वासों को परे धकेलना आसान नहीं, खुद को इंसानियत की रौशनी में देख पाना भी आसान नहीं था लेकिन उस सत्य ने एक और विराट सत्य का रहस्य खोला वो है. ” प्रेम व मानवता सब धर्मों से प्रधान है”।
लेखिका शिक्षिका व साहित्य प्रेमी है.
प्रकाशक – पेंग्विन
फोटो सौजन्य – जिंजर चाय