हंस फाउण्डेशन का बड़ा तोहफा
महावीर सिंह जगवान
हंस फाउण्डेशन, सम्मानीय भोले महाराज जी और माता मंगला जी द्वारा निर्मित एक सौ पचास बैड के अस्पताल का उद्घाटन सतपुली के चमोलीसैंण मे, पहाड़ की जनता को बड़ा तोहफा।
सैल्यूट और नमन उस हर सृजनशील मानव का जिनके सहयोग से यह संकल्प पूर्ण हुआ। यह विकट और दुरूह क्षेत्रों के साथ अति सामान्य ग्रामो और ग्रामीणो का बड़ा केन्द्र है। आशा ही नही पूर्ण विश्वास यहाँ आम जन को सस्ता और गुणवत्ता युक्त इलाज मिलेगा।
आज के उद्घाटन के पावन अवसर पर उत्तराखण्ड की राजनैतिक हस्तियों का भी विशाल और समदर्शी स्वरूप मे उपस्थिति आकर्षण का बड़ा केन्द्र रहा। स्पष्ट है हंस फाउण्डेशन ने इतना विराट और पुण्य रूपी पौधा रोपा है जिसको सहेजने और सँवारने का बड़ा दायित्व राजनेताऔं से लेकर आमजनता का है। अस्पताल मे सबसे बड़ी भूमिका है कुशल चौबीसों घण्टे ऐसा एक्सपर्ट डाॅ0 हों जो बीमारी को पहिचान सकें और तत्काल प्रयोगशाला से प्रारम्भिक जाँच उपलब्ध हो, आपात राहत और प्रारम्भिक गुणवत्ता युक्त उपचार की कौशलता और कुशलता से ब्यवस्था। औषधि भण्डार गुणवत्ता युक्त, स्वच्छता और मृदु ब्यवहार सेवा का भाव। विकट और रेफर की परिस्थितियों मे पेसेन्ट और परिजनो को सटीक और सहयोगात्मक जानकारियाँ उपलब्ध होती रहें।
हमारा उत्तराखण्ड सरकार से विनम्र निवेदन है इस चिकित्सालय के नजदीकी क्षेत्रों मे अधिक से अधिक हैल्थ कार्ड के लिये कैम्प और सर्वे की जाय, विगत दस वर्षों मे संम्भावित बीमारियों, स्वास्थ्य सम्बन्धित परेशानियों का डाटा बने। ताकि आम जनता समय रहते जागरूक हो और अपने नियमित गुणवत्ता युक्त इलाज के लिये अस्पताल की सेवा ले। अस्पताल प्रबन्धन और हंस कल्चरल फाउण्डेशन के बुद्धिजीवियों से विनती है पहाड़ मे होने वाली अधिकतर बीमारियों मे जिनका प्रतिशत अधिक है और ब्यय भी अधिक होता है ऐसी एक दो बीमारियों के निशुल्क और गुणवत्ता युक्त इलाज के लिये यह अस्पताल उत्तराखण्ड मे विशिष्ट स्थान प्राप्त करे।
एक्सपर्ट डाॅक्टर के लिये नियमित और अच्छी शंख्या मे पैसेन्ट चाहिये ताकि प्रेक्टिस अच्छी हो और इन्ट्रेस्ट बढे। अच्छा और सकारात्मक वातावरण मिले। विनम्र निवेदन है क्षेत्रीय जनता से इस पावन जनकल्याणकारी पहल का मिलकर साथ दें ताकि फाउण्डेशन की परिकल्पना, भोले महाराज और मंगला जी की पहल की सार्थकता बढे।यह सौभाग्य इन पहाड़ों का इसे सहेजने फलने फूलने मे सभी का योगदान प्रार्थनीय है।