November 22, 2024



पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय

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भारत चौहान


पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय 12661 एकड़ क्षेत्रफल, 650 गाये और भी बहुत कुछ……!

उत्तराखंड के पंतनगर में भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है। इसका उद्घाटन देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 17 नवंबर, 1960 को उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के नाम से किया गया था। वर्तमान समय में 12661 एकड मे फैला हुआ है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से दुनिया के दूसरे नंबर का विश्वविद्यालय है।


वर्ष 1972 में इसका नाम महान स्वतन्त्रता सेनानी गोविन्द बल्लभ पंत के नाम पर गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रखा गया । यह विश्वविद्यालय भारत में हरित क्रांति का अग्रदूत माना जाता है। इस विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए अत्यंत पारदर्शी व्यवस्था है प्रतिभावान छात्रों का ही प्रवेश इस विश्वविद्यालय में होता है विश्वविद्यालय का इतना बड़ा परिसर भारत में किसी विश्वविद्यालय के पास नहीं है ।


खास बात यह है कि यहां लगभग 800 प्रोफेसरों के पद है वर्तमान समय में भले ही कुछ प्रोफेसर कम है। 4500 विद्यार्थी अध्यनरत है जो विभिन्न विषयों में शोध करते हैं विश्वविद्यालय के पास 650 विभिन्न प्रजातियों की गाय हैं, मत्स्य विभाग, खरगोश, ईट का भट्टा अन्य कुछ ऐसी चीजें हैं जिसकी कल्पना एक विश्वविद्यालय में हम नहीं कर सकते हैं परंतु पंतनगर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में वह सभी चीजें हैंl

एक पूरा शहर ही पंतनगर विश्वविद्यालय में तब्दील है। विश्वविद्यालय के अंदर पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआई, यूको बैंक आदि की शाखाएं भी है वर्ष में दो बार लगने वाला कृषि मेला पूरे भारत के कृषक एवं पशुपालन करने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। समय-समय पर विभिन्न फलों की प्रदर्शनी भी यह के आकर्षण का केंद्र है ।


हजारों बीघा उपजाऊ भूमि किसानों को लीज पर दी गई है जो इस पर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाते हैं ऐसी मान्यता है कि संपूर्ण देश भर में उपजाऊ प्रतिशत सबसे अधिक पंतनगर क्षेत्र में माना जाता हैl लोगों का कहना है कि पूर्व में विश्वविद्यालय पर होने वाले प्रत्येक माह करोड़ों रुपए के खर्चे की व्यवस्था स्वयं विश्वविद्यालय कृषि एवं पशुपालन के माध्यम से ही वहन करता था।

विश्वविद्यालय का परिसर इतना बड़ा है कि इसकी चारदीवारी नहीं है इसके ही परिसर में रुद्रपुर शहर बसा है इसके परिसर में ही सिडकुल को स्थापित किया गया है और इसी के परिसर में पंतनगर हवाई पट्टी का निर्माण भी किया गया है। विगत दिनों संघ के अनुषांगिक संगठन क्रीड़ा भारती के प्रवास के दौरान पंतनगर विश्वविद्यालय के अनेक प्रोफेसर एवं कार्यकर्ताओं से भेंट मुलाकात के दौरान यहां के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त हुई इसलिए आप सब लोगों के साथ आ जा कर रहा हूं।




लेखक वरिष्ठ पत्रकार व गढ़ बैराठ के संपादक हैं