गोपीनाथ मंदिर – गोपेश्वर
डॉ. राकेश गैरोला
गोपीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में गोपेश्वर में स्थित भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने वास्तु के कारण अलग से पहचाना जाता है। इसका एक शीर्ष गुम्बद और 30 वर्ग फुट का गर्भगृह है, जिस तक 24 द्वारों से पहुँचा जा सकता है। मंदिर के आसपास टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष इस बात का संकेत करते हैं कि प्राचीन समय में यहाँ अन्य भी बहुत से मंदिर थे। मंदिर के आंगन में एक 5 मीटर ऊँचा त्रिशूल है जो अष्टधातु का बना है।
दन्तकथा है कि जब भगवान शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो वह यहाँ गढ़ गया। त्रिशूल की धातु अभी भी सही स्थित में है जिस पर मौसम प्रभावहीन है और यह एक आश्वर्य है। यह माना जाता है कि शारीरिक बल से इस त्रिशुल को हिलाया भी नहीं जा सकता, जबकि यदि कोई सच्चा भक्त इसे छू भी ले तो इसमें कम्पन होने लगता है। मन्दिर परिसर में स्थित यह विशाल धातु निर्मित त्रिशूल ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्पूर्ण हैं जिसमें विभिन्न कालों के अभिलेख उत्कीर्ण हैं।
सबसे प्राचीन अभिलेख छठी शताब्दी ई. में गणपतिनाग द्वारा उत्कीर्ण कराया जिसमें यहां रूद्र के मन्दिर की स्थापना का वर्णन मिलता है। 1119 ई. के एक अन्य अभिलेख में नेपाल के राजा अशोक चल्ल द्वारा उक्त त्रिशूल की पुर्नस्थापना करने का उल्लेख मिलता है। मन्दिर परिसर से प्राप्त लगभग पांचवी-छठी शताब्दी ई. में उत्कीर्ण मूर्ति शिल्प तत्कालीन समय में इस स्थल के धार्मिक महत्व को इंगित करता है।