उत्तरकाशी का मिजाज
कमलेश गुरूरानी
उत्तरकाशी का मिजाज भी बड़ा शानदार है। शिव, भागीरथी जी और यहां के लोग इस शानदार मिजाज को जीवंत रखते हैं। उत्तरकाशी मैं काशी विश्वनाथ और भागीरथी जी के किनारे एक अदभुत शांति और अलौकिक भाव महसूस होता है और इस भाव को कुछ लोगों की श्रद्धा और मजबूत करती है। मैं सुनता था कि गंगा जी के प्रति लोगों का इतना श्रद्धा भाव है कि वो जब पूल पार करते हैं तो अपना जूता सिर पर रख लेते हैं और पिछले दिन एक सज्जन को मैने ऐसा करते देखा। वो सज्जन जैसे ही पूल के किनारे पर आए उन्होंने अपने जूते उतारे और प्रणाम करके जूते उठा कर पूल पार किया।
दूसरी और तीसरी फोटो केदार घाट के दूसरी तरफ का है जिसमे एक महिला जिनको लगभग ७ साल से मैं भागीरथी जी के किनारे प्रत्येक शाम दिया जलाते हुए देखता हूं। कैसा ही मौसम रहा होगा लेकिन इनके भाव में कोई बदलाव नहीं देखा। कभी जब ये नही आती हैं तो इनकी बेटी दिया बत्ती करने आती हैं। मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत फोटो होंगी ये, गंगाजी के प्रति आस्था को परिलक्षित करने वाली। मेरा हमेशा से ये विश्वास रहा है यही भाव हमें जीवंत रखते हैं और इन्ही भावों को महसूस करने लोग उत्तरकाशी आते हैं।