हार्क की अनुपम पहल
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आजीविका अभिवृद्वि हेतु कृषि में नवीनतम् अनुप्रयोग कर सीमांत उत्पादकों की आर्थिक, सामजिक एंव पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करना हार्क का मुख्य ध्येय है। इस मिशन के तहत एच0डी0एफ0सी0 बैंक एवं हिमालयन एक्शन रिसर्च सेन्टर ”हार्क“ के संयुक्त प्रयासों से पुनः यमुना वैली के भाटिया गांव में 5 हार्सपावर की क्षमता का सोलर वाटर लिप्टिंग तकनीक का प्रदर्शन किया गया। इससे पूर्व हार्क द्वारा समान तकनीक का प्रदर्शन धारी कफनौल क्षेत्र में भी किया गया। नौगांव ब्लाँक के भाटिया गांव स्थित यह कृषि क्षेत्र पानी के अभाव के चलते वर्तमान में अनुपयोगी साबित हो रही थी।
हार्क द्वारा यहां गहराई में स्थित जल स्रोत से लगभग 650 मी0 ऊॅचाई पर पानी को लिप्ट कर, इसमें सिचाई की सुविधा-सृजित कर लगभग 6 हेक्टअर भूमि जो वर्षों से असिंचित थी यहा सिंचित क्षे0 में परिवर्तित किया गया है। इस प्रयास के चलते अब गांव के लगभग 200 किसानों द्वारा नकदी फसल जिसमें टमाटर, मटर, खीरा, फ्रेंचबीन की उन्न्त प्रजातियों का उत्पादन कर इसका भरपूर लाभ ले सकेंगे ऐसी हमारी शुभकामना है। साथ ही वर्तमान में टमाटर,खीरा फ्रेचबीन आदि फसल में उच्च उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने एवं स्टेकिंग हेतु वनों पर झाड़ियों की निर्भरता कम करने हेतु हार्क द्वारा वायर स्टेकिंग का प्रदर्शन क्षेत्र के किसानों के साथ किया जा रहा है।
हार्क यह दृढ़ विश्वास रखता है कि यहां के कर्मठ एवं प्रगतिशील किसानों को समर्पित यह लागत प्रभावी सिंचाई सुविधा, उत्पादन उन्नमुखी ईकोप्रेंडली तकनीक एवं नकदी फसल उत्पादन का यह समग्र मॉड़ल अन्य उत्पादकों के लिए भी प्रेरणा का काम करेगा। हार्क द्वारा इन प्रयासों से राष्ट्र एवं सस्टनेबल डेवलपमेन्ट ग्लोबल गोल की प्राथमिकताओं में अपना योगदान प्रदान करना मुख्य है।
वर्षा आधारित खेती पर निर्भरता पर्वतीय क्षेत्र में सामान्य परिर्दश्य है, फलस्वरूप फसल से अपेक्षित गुणवत्ता एवं उत्पादकता खासी प्रभावित होती रहती है। इस समस्या के मध्यनजर एच0डी0एफ0सी0 बैंक एवं हिमालयन एक्षन रिसर्च सेन्टर ”हार्क“ के संयुक्त प्रयासों से यमुना वैली के दुरस्थ धारी कफनौल के मताड़ तोक में 5 हार्सपावर एवं 1.94 ली0/सेकंड वाटर फ्लो की क्षमता का सोलर वाटर लिप्टिंग तकनीक का प्रदर्षन किया गया। यहां पानी के अभाव के चलते वर्तमान में बंजर पड़ी 4 हे0 भूमि जो वर्षों से असिंचित थी तथा उत्पादक इसका लाभ नही ले पा रहे थे, यहां गहराई में स्थित जल स्रोत से लगभग 450 मी0 ऊॅचाई पर पानी को लिप्ट कर, इसमें सिचाई की सुविधा-सृजित कर सिंचित क्षे0 में परिवर्तित करना मुख्य है। इस प्रयास के चलते अब यहां के 4 गांवों जिनमें बिजलाड़ी, नरयुंका, खाबला, पमाड़ी आदि के तकरीबन 100 से भी अधिक किसानों को नकदी फसल जिसमें टमाटर, मटर, खीरा, फ्रेंचबीन की उन्न्त प्रजातियों का उत्पादन कर इसका भरपूर लाभ ले सकेंगे ऐसी हमारी शुभकामना है। हमारा यह प्रयास क्लस्टर फार्मिंग के साथ ही खेती में परम्परागत ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिक कृषि तकनीक को प्रोत्साहित करना मुख्य है।