November 21, 2024



भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक – आदिगुरु शंकराचार्य

Spread the love

सुरेन्द्र कुमार


आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म स्थान केरल का कालड़ी गांव माना जाता है। शंकराचार्य जी 8 साल की उम्र में सभी वेदों के जानकार हो गए थे। उन्होंने भारत की यात्रा की और चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना की थी। इनका जन्म दक्षिण भारत के नम्बूदरी ब्राह्मण वंश में हुआ था। आज इसी वंश के ब्राह्मण बद्रीनाथ मंदिर के रावल होते हैं। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य की गद्दी पर नम्बूदरी ब्राह्मण ही बैठते हैं। शंकराचार्य जी ने गोवर्धन पुरी मठ (जगन्नाथ पुरी), श्रंगेरी पीठ (रामेश्वरम्), शारदा मठ (द्वारिका) और ज्योतिर्मठ (बद्रीनाथ धाम) की स्थापना की थी। आदि शंकराचार्य का जन्म- महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है कि आदि शंकराचार्यजी का काल लगभग 2200 वर्ष पूर्व का है।

दयानंद सरस्वती जी 138 साल पहले हुए थे। आज के इतिहासकार कहते हैं कि आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में हुआ और उनकी मृत्यु 820 ईस्वी में। मतलब वह 32 साल जीए। इस वक्त ईसाई वर्ष चल रहा है। विक्रम संवत इससे 57 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। वर्तमान में विक्रम संवत 2079 चल रहा है। इस वक्त विक्रम संवत 5121 चल रहा है। युधिष्ठिर संवत कलि संवत से 38 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था। मतलब इस वक्त युधिष्ठिर संवत 5159 चल रहा है। आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी। उत्तर दिशा में उन्होंने बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी। यह स्थापना उन्होंने 2641 से 2645 युधिष्ठिर संवत के बीच की थी। इसके बाद पश्‍चिम दिशा में द्वारिका में शारदामठ की स्थापना की थी। इसकी स्थापना 2648 युधिष्‍ठिर संवत में की थी।


लेखक उत्तराखंड के वरिष्ठ राजनयिक हैं