एक दिन अरविंद की बगिया में
इन्द्र सिंह नेगी
एक और जहा गांव से नगरों-महानगरों की तरफ पलायन जारी है, सरकार भी विधानसभा सत्र के दौरान टावरों, ओवर हेड वाटर टेंकों की रखवाली में जुट जाती ताकि कोई बेरोजगार ऊपर ना चढ़ पाए, बेरोजगारों की धरने-प्रदर्शन जैसी लोकतांत्रिक गतिविधियां गतिशील रहती है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांव में ही रह कर अपने सपने साकार कर रोजगार के अवसर पैदा कर रहे है।
आज जिक्र कर रहा हूं जौनसार-बावर की त्यूनी तहसील के कुणा गांव निवासी मित्र अरविंद पंवार का जो पिछले कई सालों अपने सेब के बागान को मूर्त रूप देने का काम कर चुके है जिसमें परिवार की भी बढ़-चढ़कर भूमिका रहती है। अरविंद पंवार का अपने गांव से थोड़ी दूरी पर “खंडी” नामक स्थान पर सेब का लगभग 1500 पौधों का उद्यान है यहां रेड चीफ, स्टारलेट, आर्गन स्पर एवं गोल्डन डेलिसीयस (परागण हेतु) जैसी प्रजातियां है, दूसरा उद्यान कथियान के पास “देवलबाग” नामक स्थान पर है जहां 350 पौधे तैयार किए जा रहे है।
हिमाचल प्रदेश के समीपवर्ती होने का प्रभाव ये है कि जौनसार-बावर की कथियान, कोटी-कनासर, देवधार पट्टी, उत्तरकाशी जनपद का आराकोट व बंगाण में सेब के छोटे-बड़े बागान आकार ले रहे है जो उत्तराखंड का बहुत बड़ा “एप्पल हब” बनने की दिशा में अग्रसर है जो भविष्य में लोगों की आर्थिकी का बड़ा आधार बनेगा। मित्र अरविंद पंवार से फेसबुकिया मंच पर मुलाकात हुई, इसके पश्चात बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया के साथी दीपक फरस्वाण व प्रदीप सती के साथ उनके घर पर ही पहली मुलाकात हुई। इसके पश्चात एक-दो बार मिलना हुआ किन्तु किसी ना किसी माध्यम से संवाद बना रहा।
अभी 26 मार्च 2022 को देवघार पट्टी के कुल्हा गांव निवासी अनुज चन्दर साल्टा के विवाह समारोह में जाने का तय था तो अगले दिन अरविंद को फोन किया कि भाई मिलते हुए जायेगें तो दाल-भात बनवा कर रखना। सुबह अनुज प्रदीप के साथ नागथात से चला पहले समाल्टा स्थित चालदा महासू के दर्शन किए जहां वैदिक मिशन के भाई जगवीर सैनी भी सपरिवार उपस्थित हुए, इसके पश्चात साहिया, चकराता होकर सीधे ब्रेक 2:30 बजे कुणा ही लगे। भोजन इत्यादि के पश्चात हम चल दिये खंडी की तरफ, सेब के फूलों से लदे पौधों के बीच कुछ देर के लिए तो जैसे खो से गये। इसके बाद वहां से मेन्द्रथ जहां पवाशिक महासू व मां देवलाड़ी का प्रसिद्ध मंदिर है पहुंचे और शाम को अनुज एवं नीरू आदि के साथ कुल्हा गांव शादी सम्पन्न कर वापस नीरू जोशी के घर मेन्द्रथ लौट आए। अगले दिन आराध्य श्री मासू के सबसे बड़े दरवार हनोल में मत्था टेक कर मोरी-पुरोला-नौंगांव होकर व्याली-बड़कोट, उत्तरकाशी और कल दोपहर बाद घर पहुंचे ।अरविंद पंवार जैसे साथी सभी युवाओं के लिए प्रेरक का काम कर रहे है और भविष्य मे सफलता के नये आयाम तय करेगें.
लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.