November 21, 2024



हरीश रावत की खुली पैरवी

Spread the love

स्टाफ


एक दौर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व धनोल्टी विधानसभा के बर्तमान प्रत्यासी जोत सिंह बिस्ट हरीश रावत के सबसे करीबियों में सुमार थे. जब हरीश रावत ने हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव लड़ा तो जोत सिंह बिस्ट चुनाव सञ्चालन के प्रमुख सूबेदार थे. वक़्त बदला विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो जोत सिंह बिस्ट की नजदीकी बहुगुणा से बड गयी, यह स्वाभाविक भी था क्यूंकि बहुगुणा टिहरी के सांसद भी थे. जोत सिंह बिष्ट धनोल्टी से टिकट के दावेदार भी थे व वे वहां काफी सक्रीय भी थे. समय ने एक बार पलटा खाया और हरीश रावत मुख्यमंत्री बन गये. बिस्ट की बहुगुणा से नजदीकी से हरीश रावत अनमने हो गये, परिणाम स्वरूप धनोल्टी से जोत सिंह बिस्ट का टिकट कट गया और उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा. भले ही बिस्ट चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन सम्मान जनक वोट लेकर आगे का रास्ता तैयार कर बैठे. विश्लेषक कहते हैं की यदि उस वक़्त बिस्ट को कांग्रेस का टिकेट मिल गया होता तो बिस्ट विधानसभा में होते.

खैर समय बदला और पुराणी दोस्ती फिर पटरी पर आ गयी लगती है. जहाँ कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिये लोबिंग जारी है व कोई भी खुलकर किसी के पक्ष में सामने नहीं आ रहा है, ऐसे में एक बार फिर जोत सिंह बिस्ट ने चुनाव परिणामों से पूर्व ही खुलकर हरीश रावत के पक्ष में अपनी बात अपने फेसबुक पेज पर ब्यक्त कर दी है आप भी पढिये बिस्ट ने क्या लिखा है.


जोत सिंह बिस्ट लिखते है …..


सोशल मीडिया से लेकर विभिन्न टीवी चैनलों, समाचार एजेंसियों अन्य सर्वे एजेंसियों के द्वारा कराये गए अनेकों सर्वे के अनुसार उत्तराखंड में इस बार कांग्रेस की सरकार बनने के भरपूर आसार हैं। इन सभी सर्वे के अनुसार मुख्यमंत्री के लिये उत्तराखंड में सबसे अधिक पसंदीदा चेहरा मा0 हरीश रावत जी का बताया गया है। यह सर्वे उत्तराखंड की जनता की राय को परिलक्षित करते हैं।कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में सर्वे की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए मा0 हरीश रावत जी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जनता से कांग्रेस के पक्ष याने अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की है।आचार संहिता लागू होने के साथ रैलियों, चुनावी बैठकों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर मा0 हरीश रावत चुप नहीं बैठे। वह उत्तराखंड में अकेले ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने इस प्रतिबंध के दौर में उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभाओं में वर्चुअल संवाद के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष का दायित्व पूरा करने के साथ साथ एक परिपक्व राजनेता का परिचय दिया।

राज्यभर में यह पहला मौका था जब युवाओं में भी हरीश रावत जी के प्रति जबरदस्त रुझान देखने को मिला। इस बार सरकार बनने पर एक मौका है जिसमे कांग्रेस पार्टी की यह सरकार पिछली सरकारोँ की कमियों का अध्ययन करने के बाद अगले 5 सालों के लिए एक ऐसा रोडमैप तैयार करे जिसके आधार पर काम करके कांग्रेस पार्टी देश के अन्य राज्यों में उत्तराखंड मॉडल को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सके। ऐसा करने के लिए कांग्रेस के पास सबसे उपयुक्त व्यक्ति के रूप में हरीश रावत ही एकमात्र विकल्प है। अब देखना है कि चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस विधायक दल और पार्टी हाई कमान क्या फैसला लेंगे।