कम मतदान से फायदे में कांग्रेस
सीताराम बहुगुणा
उत्तराखंड में नई सरकार को चुनने के लिए मतदान प्रकिया सम्पन्न हो गई है। और अब राजनीतिक दल और विश्लेषक सीटों के गुणा भाग में जुट गए हैं।प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इन चुनावों में 59 प्रतिशत मतदान हुआ जो कि 2017 के चुनावों से छै प्रतिशत कम है। मुझे लगता है कि कम मतदान बीजेपी के लिए चिंता की बात है और कांग्रेस के लिए खुशी की खबर। 2017 के चुनावों में 65 प्रतिशत मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी को 46 प्रतिशत, कांग्रेस को 33 प्रतिशत, और अन्य को सात प्रतिशत मत मिले। चुनावों में कांग्रेस को जीत के लिए दो चीजें जरूरी हैं। पहला वोटिंग प्रतिशत में गिरावट हो, और दूसरा उसका खुद का वोट प्रतिशत भी बढ़े। मतदान प्रतिशत गिरने से लगता है कांग्रेस ने पहली बाधा पार कर दी है।
2017 के बराबर याने कि 65 प्रतिशत मत प्रतिशत होने की स्थिति में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का संगठन इस स्थिति में नहीं है कि वो इस 13 प्रतिशत के बड़े अंतर को पाट पाता। फिर उसे बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए अन्य पार्टियों और निर्दलीयों के भरोसे रहना पड़ता। लेकिन कम मतदान ने कांग्रेस पार्टी का काम आधा आसान कर दिया है।2002 में हुए 54 प्रतिशत मतदान में कांग्रेस को 27 प्रतिशत मत और 36 सीटें मिली जबकि बीजेपी को 25 प्रतिशत मत और 19 सीटें मिली। 2007 में हुए 59 प्रतिशत मतदान में कांग्रेस को 30 प्रतिशत मत के साथ 21 सीटें मिली। जबकि बीजेपी को 32 प्रतिशत मत और 35 सीटें मिली। 2012 में हुए 67 प्रतिशत मतदान में कांग्रेस को 34 प्रतिशत मत के साथ 32 सीटें जबकि बीजेपी को 33 प्रतिशत मत और 31 सीटें प्राप्त हुई।
2017 में हुए 66 प्रतिशत मतदान में कांग्रेस को 33 प्रतिशत मत और 11 सीटें, जबकि बीजेपी को रिकॉर्ड 46 प्रतिशत मत और 57 सीटें मिली।उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट होता है 2017 तक प्रदेश में चुनाव दर चुनाव कुल वोटिंग प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा है। जिसमें सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ है। 2002 से 2017 तक बीजेपी अपना वोट प्रतिशत 26 से 46 करने में कामयाब रही। लेकिन 2022 में हुए कम मतदाता और सत्ता विरोधी लहर के कारण बीजेपी के वोट प्रतिशत और सीटों में भारी गिरावट देखने को मिलेगी।दूसरी ओर अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत न तो बहुत ज्यादा बढ़ा है और न कम हुआ। 2017 की सबसे खराब स्थिति में भी कांग्रेस अपना 33 प्रतिशत का अधिकतम वोट प्रतिशत बचाने में सफल रही। 2022 में छै प्रतिशत कम मतदान के बावजूद सत्ता विरोधी लहर के कारण न सिर्फ कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढेगा बल्कि उसकी सीटें भी सत्ता के जादुई आंकड़े को क्रॉस कर जाएंगी। ऐसा मेरा मानना है।
सीताराम बहुगुणा वरिष्ठ पत्रकार हैं