साफ़ सफाई के मायने
महावीर सिंह जगवान
पूरे विश्व मे महात्मा गाँधी की प्रासिंकता बढी है जिसमे उनका यह सूत्र सार गर्भित है हिंसा, शोषण से मुक्त हो समाज, प्रकृति सम्मत विकास से दुनियाँ के अभाव दूर हों।
भारत मे इक्कीसवीं सदी के डेढ दशक बाद गाँधी को स्वच्छता का पर्याय मानते हुये स्वच्छ भारत के रूप एक भारत की स्वच्छता का बड़ा संकल्प लिया है। असल मे आज भारत को सभी क्षेत्रों मे स्वच्छता की बड़ी है। भारत का प्रत्येक नागरिक आज इस बात को सहजता से स्वीकार कर लेता है जैसा होना चाहिये वैसा हो नही रहा है वह राजनीति से लेकर ब्यवस्था और जबाबदेही से लेकर स्वच्छता। आज बापू की जयन्ती है देश के प्रधान सेवक ने भी बापू की जयन्ती पर स्वच्छता के साढे तीन वर्ष के विगुल से प्रभाव पर बात की। आज अपने छोटे से कस्बे मे सुबह सैर का अवसर मिला,चारों ओर कूड़े के ढेर और इस ढेर मे मुँह मारती गौवैं, आवारा कुत्तों के झुण्ड और बन्दरों की छीना झपटी साथ मे कौवों का कौतूहलऔर सुँवरो का झुरमुट, आस पास से गुजरता आधुनिक मानव मुँह और भौहें सिकोड़ता और नाक के तनाव से स्पष्ट करता अपना गुस्सा। थोड़ी देर रूककर कोशिष की यह जानने की वाकई कबाड़ गाय कुत्ते बन्दर और सुँवरो के लिये कुछ तो इस कबाड़ मे खजाना। फिर कोशिष की यह जानने की है क्या इस कबाड़ मे। इसमे जो दिखा वो ये सब था। गत्ता प्लेन, गत्ता लेमिनैशन सहित, सब्जी सड़ी गली, बाल कटे हुये, भोजन घरो से बचा हुआ, ट्रासपरेन्स प्लास्टिक, भारत मे कपड़े की थैली के नाम पर नई पैकिंग सामग्री मे आई प्लास्टिक की सफेद और रंगीन थैली, पैकिंग मे आ रही नुकसान देह प्लास्टिक, तम्बाकू और गुटके के खोल, पैंकिंग मे आ रहे रेसे दार प्लास्टिक के बोरे, सस्ते प्लास्टिक की टूटी फूटी सामग्री, मिट्टी और प्लास्टिक के छोटे छोटे टुकड़े।
एक ओर गाँधी जयंती की खुशी दूसरी ओर लालबहादुर शास्त्री का पावन पर्व और तीसरी ओर आज से तेईस साल पहले की हृदयविदारक घटना जिसमे मेरे हिमालय के अनगिनत लोंगो को रात के घुप अंधेरे मे पुलिस सरकार और जिम्मेदार अफसरों ने लाठी गोली और क्रूर मानसिकता से मौत दर्द और अस्मत लूटने का नंगा नाच चला जिस पर अभी तक न्याय नही मिला यह सब माथे पर बल डालता है काश न्याय मिल जाता शहीदों की आत्मा शान्ति पा लेती और हमें भी स्वाभिमान से जीने का मार्ग प्रशस्त होता, यह नियति के भरोसे है क्यों नीति नियोक्ता जन सामान्य की भावनाऔं की कद्र नही करते भले ही तीस साल तक सत्ता के शीर्ष के आँकाक्षी हैं, आखिर क्यों सीमा बाँधते हो जनभावनाऔं का सम्मान करो, न्याय दो और साठ साल राज करो। आखिर हर जगह आड़े राजनीति आती है बात कूड़े करकट से राजनीति को छू गई क्योंकि पीड़ा का समाधान तो इन्ही के पास होता है साहेब चाहे बात न्याय की हो या रोजगार और कूड़े की यदि इमानदारी से सत्तायें निर्णय लें तो समाधान भी सौ फीसदी पक्का।
कूड़े के प्रकार और समाधान पर चर्चा करते हैं। जो सादा गत्ता है वह विक जाता है पाँच रूपये किलो यह आराम से इकट्ठा हो सकता है, जो लेमिनेटिव गत्ता है यदि सरकार इस गत्ते के लेमिनेशन के बजाय सादा और उच्चगुणवत्ता वाले गत्ते को ही पैकिंग इण्डस्ट्री मे प्रोत्साहन देगी तो कबाड़ के रूप मे इन दो प्रकार के गत्तो की बीस फीसदी भूमिका घट जायेगा इससे रोजगार बढेगा। दूसरा कूड़ा है सब्जी के अवशेष बची बासी सब्जी और भोजन का बचा हिस्सा जो घरों और हाॅटलों से निकलता है इसका सुनियोजित संग्रह और कस्बे के बार छोटे छोटे ऐसे स्थलों का निर्माण कर जहाँ इसका उपयोग पशु पच्छी आराम से कर सके और बचे अवशेष जैविक खाद के रूप मे प्रयोग किये जा सकते हैं। तीसरा जो बड़ा कूड़ा है पैकिंग कवर जो प्लास्टिक और सुतली के रेसे से बनी हैं सुतली से बना उत्पाद जैविक है और यदि यह दोनो पैंकिग ठीक स्थिति मे है तो कई बार उपयोग हो सकती है और यदि कटे फटे तो इनसे रेसे निकाले जा सकते है इनका उपयोग रस्सी और गार्डनिग के साथ खेती पशुधन मे हो सकता है इससे भी पन्द्रह फीसदी कूड़ा समाप्त हो सकता है। चौथा जो कूड़ा है वह पैकेजिन्जिग ट्रासपरेन्ट प्लास्टिक का है इसकी क्वालिटी बढाकर इसे यदि तीस माइक्रोन के आस पास लाया जाय तो यह पूर्णत:रिसायकिल योग्य हो सकता है इसका कबाड़ मे तीस फीसदी हिस्सा है यह रिसायकिल योग्य होगा तो इसका न्यूनतम मूल्य देकर इक्कट्ठा किया जा सकता है।
पाँचवें कबाड़ की प्रकृति है तम्बाकू उत्पादों का कबाड़, कोल्ड ड्रिंक उत्पादों का कबाड़, वाइन उत्पादों का कबाड़ यह सभी कम्पनियाँ दो सौ फीसदी से लेकर दो हजार फीसदी तक मुनाफा कमाती हैं इन इनके द्वारा निर्मित कूड़े के समाधान की संयुक्त जबाबदेही हो और रिसायक्लिंग की जबाबदेही हो ताकि पैंकिंग मैटिरियल की क्वालिटी बढे और कूड़े का निस्तारण निश्चित हो। छठवें प्रकार का कूड़ा सरकार ने पाॅलिथीन उन्मूलन के नाम पर क्रिस्टल प्लास्टिक को कपड़ा मान लिया इसके बाजार मे इसकी इतनी प्रतिस्पर्धा है जिसके परिणाम स्वरूप इतनी निम्न गुणवत्ता खी यह थैली बाजार मे है जिसका पाॅलिथीन से भी बड़ा संकट है समय रहते पैकिंग मैटिरियल मे जैविक क्रान्ति की जरूरत है, और बाजार मे टिखाऊ थैला ही आना चाहिये जिसके विकल्प कागज और कपड़े के थैले को वरीयता और आधुनिकता देनी चाहिये। यदि ऐसा होता है तो इसका भी समाधान हो जायेगा। सातवें कूड़े का प्रकार और आकार 1 सेमी से कम और पाँच सेमी के आस पास है जो जैविक और अजैविक का मिक्चर है इसमे बाल प्लास्टिक के अलग अलग रूप हैं इसका मिक्चर सड़क निर्माण मे हो सकता है। अत:स्पष्ट है कूड़े के प्रबन्धन की पूरी सम्भावनायें हैं जरूरत है कूड़ा ढेर मे जाने से पहले ही अपने गन्तब्य की सही राह पकड़ ले।सरकारों, संस्थाऔं और आम जन मानस को ऐसी ब्यवस्था मिलकर बनानी होगी ताकि कूड़ा जहाँ से शुरू हो या जन्म ले वही से उसे पिकअप किया जाय और उसकी प्रकृति के अनुरूप छटाँई हो जाय। यह पहल निसन्देह स्वच्छता के रास्ते नये अवसरों के साथ नये रोजगार और प्रकृति सम्मत विकास की ओर बढने के लिये प्रेरित करगी। गाँधी जी का स्वछता मिशन से नाम जुड़ना गाँधी के देश मे तभी सार्थक होगा जब जमीनी रूप से सकारात्मक पहल होगी। लाल बहादुर शास्त्री के देश का गौरव बढेगा और सब हिमालय वासी मिलकर स्वच्छ हिमालयी राज्य के साथ रामपुर तिराहा काण्ड के निर्दोष शहीदो को न्याय की शसक्त माँग करेंगे ताकि शहीदों की आत्मा को सुकून मिले और हम हिमालयी लोंगो के घावों को समय रहते मरहम लगे।
लेख़क युवा सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं